बाघम्बरी गद्दी: गुरु-चेले के राजदार थे पिता-पुत्र

हरिद्वार। सब कुछ त्यागकर साधना के मार्ग पर अग्रसर होने के बाद यदि व्यक्ति साधन की तलाश में भटक जाए तो उसकी परिणति का अनुमान लगाया जा सकता है। साधना का मार्ग अपनाकर साधन की तलाश में जुटने के कारण आज संत समाज में अनेक प्रकार की भ्रांतिया उत्पन्न हो गयी है। जिसका परिणाम सबके सामने हैं। अकूत सम्पदा ही श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि की मौत की वजह बना। हालांकि उनकी मृत्यु को लेकर कुछ भी कहना अभी अचित नहीं है, किन्तु जो सामने दिखायी दे रहा है उसको देखते हुए कहा जा सकता है कि इस घटना के पीछे कहीं न कहीं बाघम्बरी मठ की सम्पत्ति की रही। श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि महाराज के आत्महत्या कर लिए जाने के बाद उनके शिष्य आनन्द गिरि को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। साथ ही हनुमान मंदिर के पुजारी आद्या तिवारी और उसके पुत्र संदीप तिवारी को भी पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है।
सूत्र बताते हैं कि आद्या तिवारी नरेन्द्र गिरि का सबसे बड़ा राजदार था। आद्या तिवारी का नरेन्द्र गिरि के साथ उस समय से मेलजोल था जब नरेन्द्र गिरि फक्कड़ थे। बाघम्बरी गद्दी पर काबिज होने के बाद आद्या तिवारी की मौज आ गयी। सूत्र बताते हैं कि नरेन्द्र गिरि के प्रत्येक राज का आद्या तिवारी जानता था। इसी बीच आनन्द गिरि और नरेन्द्र गिरि के बीच मनमुटाव होने के बाद आद्या तिवारी ने अपने पुत्र संदीप तिवारी को भी बड़े हनुमान जी मंदिर अपने पास बुला लिया। सूत्रांें के मुताबिक सम्पत्ति की लालसा में आद्या तिवारी ने अपने पुत्र संदीप तिवारी को आनन्द गिरि के साथ लगा दिया। कुछ ही समय में संदीप तिवारी आनन्द गिरि का खास हो गया। सूत्र बताते हैं कि नरेन्द्र गिरि प्रत्येक राज को आद्या तिवारी अपने पुत्र संदीप को बताता था और संदीप उस राज को आनन्द गिरि तक पहुंचाने का काम करता था। इस कारण गुरु-चेले पर दोंनो पिता-पुत्र की एक एक प्रकार से अच्छी पकड़ थी। अब हालांकि तीनों पुलिस की गिरफ्त में पहुंच चुके हैं। जांच में अब सत्य सामने आ जाएगा।

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