पत्नी-बच्चे वालों को बना रहे जगद्गुरु शंकराचार्य
प्रयागराज। कुंभ में कई विवाद सामने आए। इनमें से अधिकांश संतों से जुड़े रहे। अभी तक फर्जी शंकराचार्यों का विरोध करने वाली अखाड़ा परिषद के पदाधिकारी भी जगद्गुरु शंकराचार्य बनाने में जुट गयी हैं। बीतंे रोज निरंजनी अखाड़े ने कुमार स्वामी को जगद्गुरु की पदवी से नवाजते हुए उनका अभिषेक कर डाला और आज जूना अखाड़े ने एक साथ दो संतों को जगद्गुरु शंकराचार्य की उपाधि से अलंकृत करते हुए उनका अभिषेक किया।
जबकि इनके अलावा पहले से ही कुंभ में फर्जी शंकराचार्यों की भरमार है। मौनी अमावस्या पर भगदड़ के बाद योगी आदित्यनाथ का इस्तीफा मांगने की मांग करने वाले स्वामी अविमुक्तेश्वरांद को फर्जी कहने वाले अब खुद फर्जी शंकराचार्यों की फेहरिस्त तैयार करने में जुट गए हैं।
शंकराचार्य बनने के लिए आदी शंकराचार्य द्वारा कुछ नियम प्रतिपादित किए गए है, जिनके अनुसार ही योग्य व्यक्ति शंकराचार्य बन सकता है, किन्तु यहां तो गृहस्थ्यिों को भी अब शंकराचार्य बनाया जाने लगा है। एक ऐसे गृहस्थ संत को जगद्गुरु की उपाधि से अलंकृत कर दिया गया जो संन्यास लेने के बाद भी होटलों मंे अपनी पत्नी का जन्मदिन केक काटकर मनाता है। जिस व्यक्ति के मंच से अजान दी जाती हो।
अब दो और शंकराचार्यों को उपाधि प्रदान कर दी गई। फर्जी शंकराचार्यों की बाढ़ लाने वाले ये वही कथित संत हैं जो दुहाई तो धर्म की देते हैं और उसका नाश करने में भी बड़ी भूमिका निभाते हैं।
अब अखाड़े भी शंकराचार्य बनाने में जुट गए है। कभी शंकराचार्य संन्यास दिया करते थे, किन्तु अब गंगा अल्टी बहने लगी है। जिस प्रकार से धर्म के विनाश के लिए अखाड़ांे के कुछ लोग लामबद्ध हो गए हैं, उसको देखते हुए वह दिन दूर नहीं जब अखाड़ों में ऐसे लोगों के खिलाफ बड़ी क्रांति जन्म न ले ले।
जूना अखाड़ा ने स्वामी आत्मानंद गिरि व शांति गिरि को बनाया जगदगुरू शंकराचार्य
जूना अखाड़ा ने बसंत पचंमी पर्व पर दो जगतगुरू शंकराचार्य नियुक्त किए। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज के संरक्षण तथा जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि महाराज के दिशा-निर्देशन व अध्यक्षता में समारोह में महामंडलेश्वर स्वामी आत्मानंद गिरि महाराज व जागरण स्वामी गगन गिरि के शिष्य शांति गिरि महाराज को जगतगुरू शंकराचार्य के पद पर अभिषेक किया गया।
श्री दूधेश्वर मंदिर के पीठाधीश्वर व जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने बताया कि जगतगुरू शंकराचार्य शांति गिरि महाराज के नाम की पुकार हुई जिसके बाद उनका शंकराचार्य पद पर अभिषेक किया गया। साथ ही लिंगायत परम्परा के महाराष्ट्र व कनार्टक के 150 वर्षांे से जूना अखाडा से जुडे साधु-संतों को जूना अखाड़ा में शामिल किया गया, जिन्होंने अखाड़ा के अमृत स्नान में भी भाग लिया।