तीन साल से लेनदेन करने वाले ही होंगे चुनाव लड़ने के हकदार
विनोद धीमान
हरिद्वार। सहकारी समितियों में एक बार फिर से चुनाव की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है। 24 फरवरी को हाईकोर्ट ने सहकारी समितियां के चुनाव को निरस्त करते हुए दोबारा चुनाव कराने के सरकार को आदेश दिए थे। बुधवार को एक बार फिर दोबारा से सहकारी समितियों के चुनाव की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है। 18 मार्च को डायरेक्टर व 19 मार्च को सभापति व उपसभापति के चुनाव होंगे।
सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण, उत्तराखण्ड के अध्यक्ष हंसा दत्त पांडे ने जानकारी देते हुए बताया कि 5 मार्च को उत्तराखंड में सहकारी किसान सेवा समितियां में चुनाव प्रक्रिया दोबारा से शुरू कर दी गई है। उन्होंने बताया 21 फरवरी की दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट नैनीताल में 24 फरवरी को अपने आदेश में सहकारी समितियां के चुनाव को निरस्त कर दिया था और दोबारा से चुनाव करने का आदेश जारी किया था। हंसा दत्त पांडे ने बताया कि इन चुनाव में केवल उनको ही चुनाव लड़ने व वोट डालने का अधिकार होगा, जो सदस्य पिछले तीन सालों से अपनी समितियां से लेनदेन करते आ रहे हैं।
उन्होंने बताया कि इन चुनाव का 18 फरवरी को समितियांे में निर्विरोध चुने गए सदस्यों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, जब तक न्यायालय द्वारा कोई आदेश उनके प्रति नहीं आता है, वह निर्विरोध ही समिति के सदस्य रहेंगे। उन्होंने चुनाव प्रक्रिया जारी करते हुए बताया कि 5 मार्च को चुनावी प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी।
पांच मार्च को सहकारी समितियों के मतदाताओं की सूची का अनंतिम प्रकाशन किया जाएगा। छह मार्च को अनंतिम सूची पर आपत्तियां दर्ज होगी और सात मार्च को अंतिम प्रकाशन किया जाएगा। आठ मार्च को प्रपत्रों की बिक्री शुरू कर जांच की जायगी, दस मार्च को आपत्तियों का निस्तारण और नामांकन वापसी के बाद 11 मार्च को अंतिम नामांकन पत्रों का प्रकाशन किया जाएगा और प्रत्याशियों को चुनाव चिह्न आवंटित किए जाएंगे। इसके बाद 18 मार्च को मतदान होगा और 18 मार्च को ही मतगणना निर्वाचन परिणाम की घोशणा कर दी जाएगी। 19 मार्च को सभापति और उप सभापति के चुनाव कराएं जाएंगे।