एक बार फिर से औधे मुंह गिरी षडयंत्रकारियों की रणनीति
हरिद्वार। शराब पीकर मजे में डांस करने वाला कथित बाबा किसी बड़े षडयंत्र का शिकार हो सकता है। षडयंत्रकारियों द्वारा बाबा को अपने जाल में फंसा लिया गया है। षडयंत्रकारियों की चाल में आकर बाबा इन दिनों आपे से बाहर है और वह दूसरों को षड़यंत्र के तहत फंसाने का ताना-बाना बुन रहा है।
बता दंे कि एक वीडियो जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें एक सादे कपड़े पहना व्यक्ति, जो हरिद्वार में भगवा धारण किए रहता है, वह शराब पीकर मजे में डांस करता नजर आ रहा है। हरिद्वार में आकर बाबा ने अपना प्रभाव जमाया और थोड़े समय में ही बड़े-बड़े संतों को अपने आश्रम में बुलवाकर अपने को विद्वान साबित करने का प्रयास किया। बाबा के बढ़ते प्रभाव और धन खर्च करने के चलते हुए भगवाधारी उसके प्रभाव में आ गए और कुछ दिन पूर्व प्रभाव में आए बाबाओं ने अपने अखाड़े का बाबा को मण्डलेश्वर बनाने की घोषणा कर दी। घोषणा के बाद बाबा की हकीकत का पता चलने के बाद भगवाधारियों से बाबा से दूरी बनाने की बजाय बाबा को अपने षडयंत्र के जाल में फंसाकर मोहरा बनाकर अपना उल्लू सीधा करने का प्रयाय किया।
सूत्र बताते हैं कि बाबा भी षडयंत्रकारियों के जाल में फंस गया। बाबा को रणनीति के तहत कनखल के एक अखाड़े में भेजा गया। जहां शराबी बाबा ने अखाड़े का संत बनने की अखाड़े के श्रीमहंत से इच्छा जतायी। सूत्र बताते हैं कि कुछ दिन पूर्व इस सिलसिले में श्रीमहंत और बाबा की करीब डेढ़ घंटे तक वार्ता चली। बाबा की बातों में आकर श्रीमहंत भी करीब-करीब राजी हो गए। इसी दौरान बाबा ने अखाड़े का संत बनने के बाद पंजाब में कोई स्थान देने और वहां का महंत बनाने का भी अनुरोध किया। सूत्र बताते हैं कि श्रीमहंत इस पर भी राजी हो गए। अब बाबा की हकीकत का पता चलने के बाद अखाड़े में संतों के बीच चर्चा चल रही है।
सूत्र बताते हैं कि बाबा को अखाड़े का संत बनाने के पीछे बड़ा षडयंत्र बुना गया। बताते हैं कि कुछ भगवाधारी अखाड़े व श्रीमहंत के खिलाफ पूर्व में बनाई गई रणनीति में सफल नहीं हो पाए, जिस कारण से उन्होंने शराबी बाबा को अखाड़े का संत बनाने के लिए श्रीमहंत के पास भेजा, जिससे एक बार अखाड़े में प्रवेश होने के बाद वहां भी उठापटक करायी जा सके।
बता दें कि अखाड़े में पूर्व से ही कुछ विवाद चल रहा है। अखाड़े के दूसरे गुट को कुछ कथित भगवाधारियों ने अपना समर्थन दिया हुआ था। अब वे भी उनके कारनामों को देखकर उनसे दूरी बनाने लगे हैं। इस रणनीति में फेल होने के बाद उन्होंने अब शराबी बाबा को अखाड़े में प्रवेश दिलाकर वहां फिर से उठापटक करवाने की रणनीति बनाई, किन्तु समय से पूर्व अखाड़े के संतांे को इस रणनीति का पता चल गया है और शराबी बाबा का काला चिट्ठा भी अखाड़े के संतों के पास पहुंच गया है। जिस कारण से एक बार फिर षडयंत्रकारियों की रणनीति पर पानी फिर गया।
हालांकि शराबी बाबा को इस बात का अभी इलम नहीं है। वह अभी भी इस बात को पक्का मानकर बैठा है कि वह अखाड़े का संत बन जाएगा और पंजाब में कोई आश्रम उसके अधिकार में आने वाला है।