सोंठ, काली मिर्च, छोटी पिप्पल, हरड, बहेड़ा, आंवला, गिलोय सत्त्व और लौह भस्म यह सभी चीजें 10-10 ग्राम मिश्री 30 ग्राम, शुद्ध शिलाजीत 30 ग्राम लेकर खूब बारीक कूट पीसकर इस चूर्ण में थोडा गाय का घी मिलाकर ठीक से घोंट लें। घोटने पर यह लोई जैसा बन जायेगा। अब इसकी आधा आधा ग्राम की गोलियां बना लें और कांच के बर्तन में रख लें। गरम जगह पर न रखें। घी केवल इतना ही डाले की सब सामग्री आपस में गूँथ जाए।
यदि घी मिलाकर गोलियां बनाने में कोई समस्या हो तो चूर्ण को 500 एमएल के खाली कैप्सूल में भर कर रख लें या पुडिया बना लें और शहद के साथ सेवन करना चाहिए।
यह औषधि जोड़ो का दर्द, खून की कमी, बुखार के बाद की कमजोरी, बार-बार पेशाब आना, सर्दी ज्यादा लगना, कफ ज्यादा बनना आदि में उपयोगी है। यह रक्तशोधक दीपक पाचक और शक्तिवर्धक है। वात रक्त में विशेष उपयोगी है।
Dr. (Vaid) Deepak Kumar
Adarsh Ayurvedic Pharmacy
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