हरिद्वार। ऋषिकुल आयुर्वेदिक कालेज की एमडी डा. रीना पण्डेय ने कहाकि आने वाले समय में शिशु एवं बच्चों पर कोरोना का प्रभाव अधिक होगा। एक्सपर्ट ऐसी सम्भावना व्यक्त कर रहे हैं। वह इसलिए क्योंकि 18 वर्ष से अधिक लोगों वाली जनसंख्या को बचाव के लिए टीकाकरण हो रहा है। हालांकि शिशु एवं बच्चों के लिए टीकाकरण के परीक्षण की भी अनुमति मिल गई है फिर भी उसमें समय लगेगा। अब यह चुनौती उत्पन्न हो रही है कि शिशु और बच्चों को कैसे सुरक्षित रखा जाए। इसके लिए आयुर्वेद वर्णित स्वस्थ्यवृत परिचर्चा एवं व्याधिक्षमित्व को बढ़ाने वाले उपायों को अपनाकर सुरक्षित रखा जा सकता है।
उन्होंने बताया कि आहार व्यवस्था में सर्वप्रथम बच्चों की आहार व्यवस्था को नियमित एवं बैलेंस बनाना होगा। जिससे दूध, फल, सब्जी एवं दाल का होना आवश्यक है। बादाम या मूंगफली का सेवन भी कराना चाहिए। यह भी ध्यान रहे कि बच्चे का े50 एमएल प्रति किलो के हिसाब से पानी ( शिशु के लिए इसमें दूध की मात्रा भी शामिल है) भी पिलाना है। इस समय फ्रिज से निकालकर कोई भी फल या पेय, कोल्ड ड्रिंक का प्रयोग बिल्कुल भी नहीं करना है। अत्यधिक वसा युक्त, नमक युक्त आहार का सेवन न कराएं।
दूसरा नियमित व्यायाम है। बच्चों को स्कूल की क्लास से लगभग 2 घंटे पहले जागने की आदत डालें और रात्रि में 11 बजे तक सो जाने की। प्रातः गुनगुना पानी पिलाऐं। प्रातः क्रियाओं के बाद कम से कम 30 मिनट तक कुछ योग क्रियाओं जैसे सूर्य-नमस्कार, अनुलोम-विलोम, त्राटक आदि का अभ्यास कराएं। इससे शारीरिक, मानसिक एवं नेत्र की क्षमता को बल मिलता है।
व्याधिक्षमित्व योग का सेवनः- उन्होंने बताया कि आयुर्वेद में शिशु और बच्चों की व्याधि प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाले उपायों का विस्तार से वर्णन किया गया है। अतः अविभावकों को डाक्टर के दिशा-निर्देशों के अनुसार कुछ आयुर्वेदिक योग जैसे कि सुवर्ण प्राशन, यष्टीमधु, वसा, बलाचूर्ण का नियमित सेवन कराना चाहिए। उन्होंने कहाकि किसी भी प्रकार की बच्चों की समस्या के समाधान के लिए हेल्प लाईन नम्बर 9456131155 पर सम्पर्क कर सकते हैं।

कोरोना काल में बच्चों की सुरक्षा जरूरी, समस्या हो तो करें इस नम्बर पर सम्पर्क


