धर्म को प्रदर्शन का हिस्सा बनाना खतरनाक प्रवृति-: शांभवी पीठाधीश्वर
किसी माडल को धर्माचार्य के रथ पर बैठाना समाज के लिए गलत संदेश
प्रयागराज। शांभवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने जोर देकर कहा कि धर्म को प्रदर्शन का हिस्सा बनाना खतरनाक प्रवृति है। साधु-संतों को इसका परित्याग करना चाहिए। त्याग की पंरपरा को भोग की परंपरा बनायेंगे तो इसका दुष्परिणाम भुगतना पड़ेगा। त्याग की परंपरा ही समाप्त हो जायेगी। दिखावा नहीं समाज को सही दिशा में ले जाने का प्रयास किया जाना चाहिए।
शांभवी पीठाधीश्वर मंगलवार को कुंभनगर के सेक्टर 9 स्थित काली सेना शिविर में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।
शांभवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने कहा कि जिस प्रकार एक आचार्य महामंडलेश्वर अपने रथ पर माडल को बैठाकर अमृत स्नान के लिए गए, यह अच्छी बात नहीं है। इससे समाज में गलत संदेश जा रहा है। कहा कि हद तो तब हो गयी जब मीडिया उसे साध्वी के रूप में प्रचार कर रहा था। उन्होंने कहा कि साधु-संत त्याग की वृति के होते हैं, वे लोग भोग की वृति के हैं। लोगों की आस्था धीरे-धीरे संतों के प्रति कम हो रही है। श्रद्धालु यहां संगम में स्नान करने के लिए आये थे। उन लोगों ने स्नान किया और अपने-अपने घरों की ओर प्रस्थान कर गये। साधु-संत उनकी धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ न करे।
शांभवी पीठाधीश्वर ने कहा कि धर्माचार्यों को चाहिए कि वे सनातन को सही मार्ग दिखाएं। सनातन कई तरह का आक्रमण झेल रहा है। यदि हम स्वयं उस पर हमला करेंगे तो संकट और बढ़ जायेगा। उन्होंने चारों शंकराचार्यों, जूना अखाड़ा के संरक्षक स्वामी हरि गिरि, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविन्द्र पुरी एवं तमाम धर्माचार्यों से अनुरोध किया है कि वे लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ करने वाले कथित साधु-संतों के खिलाफ कार्रवाई करें। यदि ऐसा नहीं हुआ तो साधु-संतों के प्रति लोगों की आस्था कमजोर हो जायेगी। जिसका दुष्परिणाम हम सबको झेलना पड़ेगा।