कनखल शमशान में बंट रही मौत, प्रशासन मौन

कोरोना गाइडलाईन की उड़ायी जा रही धज्ज्यिां
हरिद्वार।
कोरोना महामारी के प्रकोप के कारण जहां संक्रमितों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। वहीं कोरोना से जान गंवाने वालों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। जिस कारण से शमशान घाट में शव दाह करने की जगह भी कम पड़ रही है। शमशान में स्थान कम पड़ने के कारण अब कोरोना से मृतक लोगों का दाह संस्कार शमशान घाट के दूसरी ओर किया जा रहा है।
अन्य लोगों को महामारी से बचाने के लिए शमशान घाट के दूसरी ओर गंगा किनारे शव दाह करने का फैसला लिया गया, किन्तु यह और अधिक जानलेवा साबित हो रहा है। जहां कोरोना से मृतक के परिजन दाह स्ंस्कार के बाद पीपीई किट को जहां-तहां फेंक कर दूसरे लोगों की जान आफत में डाल रहे हैं। वहीं शमशान में कर्म करवाने वाले आचार्य भी महामारी को बढ़ावा देने का कार्य कर रहे हैं। ये लोग कोरोना संक्रमित शव के पास जाकर संक्रमण से बचाव का कोई भी तरीका अपनाए बिना पिण्डदान आदि कर्म करवा रहे हैं। कर्म करवाने के बाद न तो इन्हें हाथों को धोने और न ही स्वंय को संेनेटाईज तक करने की जरूरत महसूस हो रही है। इसके साथ कोरोना संक्रमित के शव के साथ आए लोग दाह संस्कार के बाद इधर-उधर घूमते भी रहते हैं। जिस कारण से शमशान घाट में आने वालों के लिए कोरोना का खतरा अधिक हो गया है। बावजूद इसके इस संबंध में न तो शमशान घाट की व्यवस्था देखने वाली समिति और न ही प्रशासन कोई ठोस कदम उठा रहा है। बता दें कि रविवार को बैट्री रिक्शा में कोरोना संक्रमित का शव लाया गया। उसी रिक्शा में लकड़ी लायी गयी और उसके बाद उसमें लोगों को बैठाकर ले जाया भी गया। शमशान घाट समिति के पूर्व पदाधिकारी पं. रामकुमार मिश्रा का कहना है कि कोरोना गाइडलाइन का किसी भी प्रकार से शमशान में पालन नहीं किया जा रहा है। उनके द्वारा इस संबंध में आवाज उठायी गयी, किन्तु उस ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया। उनका कहना था कि यदि शीघ्र ही इस अव्यवस्था पर अंकुश लगाने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो हालात भयावह हो सकते हैं।

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