हरिद्वार। परी अखाड़े की प्रमुख साध्वी त्रिकाल भवंता ने कहाकि कोरोना महामारी का हरिद्वार में बढ़ा प्रकोप पाखंडी साधुओं की देन है। तप बल के द्वारा विशेष चमत्कार का दंभ भरने वालों ने भक्तों में कुंभ के प्रसाद के रूप में कोरोना बांटा। यदि दंभ भरने वाले और दूसरों को फर्जी करार देने वाले तपस्वी थे तो कोरोना महामारी पर नियंत्रण क्यों नहीं कर पाए।
साध्वी त्रिकाल भंवता ने कहाकि वर्तमान में केवल संत के नाम पर दिखावा मात्र रह गया है। सोने-चांदी की पालकी में सवार होकर स्वयं को श्रेष्ठ कहने से कोई श्रेष्ठ नहीं हो जाता। उन्होंने संतों के अंध भक्तों को भी ऐसे संतों से सावधान होने की नसीहत दी। उन्होंने कहाकि पुरानी कहावत है कि पानी पियो छानकर और गुरु बनाओ जानकर। जब गुरु के पास केवल दिखावा होगा तो वे क्या शिष्य का कल्याण करेगा। उन्होंने कहाकि दिखावटी संतों की शरण में जाने से भक्तो ंको कुंभ का क्या लाभ मिला। मिला तो केवल प्रसाद रूप में कोरोना। उन्होंने कहाकि भक्तों के कष्ट दूर करने, महामारी के नाश के लिए यज्ञ आदि का ढ़ोग करने का दावा करने वालों के तप बल के आगे कोरोना जैसी महामारी ने हरिद्वार में इतना विकराल रूप कैसे ले लिया। उन्होंने कहाकि यदि संत चाहे तो अपने तप बल के द्वारा किसी भी चमत्कार को कर सकता है। कुंभ में तो केवल सोने-चांदी के रथों पर सवार होकर और बड़ी-बड़ी उपाधियों से सुशोभित होने वाले कुछ दंभी संतों ने मेले के दौरान क्या समाज व देश के परोपकार के लिए कार्य किया। उन्होंने कहाकि केवल उन्हीं संतों को संत माना गया जो केवल फोटो खिंचवाने, चमकदार वस्त्र पहनने और चापलूसी करने तक सीमित रहे।
उन्होंने बढ़ते कोरोना के प्रभाव को देखते हुए सभी से घरों में रहने, लोगों से दूरी बनाकर रखने, मास्क पहनने और अपने खान-पान पर विशेष ध्यान रखने की अपील की।