सत्तू का सेवन एवं फायदे

सत्तू किसका नाम है?
बताया जाता है कि सत्तू नाम संस्कृत के सक्तु या सक्तुकः से लिया गया है। इसका मतलब होता है अनाज को भूनने के बाद उसे पीस कर बनाया गया आटा। बता दें कि सत्तू का कोई एक प्रकार नहीं होता। बल्कि ये जौ का सत्तू, जौ-चने का सत्तू, चावल का सत्तू, जौ-गेहूँ चने का सत्तू जैसे रूपों में पाया जाता है।

सत्तू में क्या क्या मिलाया जाता है
सत्तू भारतीय उपमहाद्वीप का एक प्रकार का देशज व्यंजन है, जो भूने हुए जौ, मक्का याध्और चने को पीस कर बनाया जाता है। बिहार में यह काफी लोकप्रिय है और कई रूपों में प्रयुक्त होता है। सामान्यतः यह चूर्ण के रूप में रहता है जिसे पानी में घोल कर या अन्य रूपों में खाया अथवा पिया जाता है।

सत्तू कैसे बनता है?
सत्तू को अनाज या चने को सूखा भून कर तैयार किया जाता है, ज्यादातर जौ या चने की दाल। उड़ीसा में सत्तू या चटुआ काजू, बादाम, बाजरा, जौ और चने को भूनकर और महीन आटे में पीसकर बनाया जाता है।

सत्तू कब नहीं पीना चाहिए?
चने के सत्तू का अत्याधिक सेवन पेट में वायु (गैस) पैदा करता है, इसलिए आहार में इसे ज्यादा न लें, इसका ध्यान रखना चाहिए।
पथरी के रोगियों के लिए चने के सत्तू का सेवन हानिकारक है, इसलिए उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
चना कोढ़ के प्रकोप में वृद्धि करता है, इसलिए कोढ़ के मरीज को चने के सत्तू का सेवन नहीं करना चाहिए।

सबसे अच्छा सत्तू कौन सा है?
कई सामग्रियों से सत्तू बनाया जा सकता है। इनमें जौ, ज्वार और चने का सत्तू सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है। पर क्या आप जानते हैं कि सर्दियों के मौसम में आपके लिए कौन सा सत्तू सबसे बेहतर है? तो इसका जवाब है चने का सत्तू।

क्या सत्तू रोज लिया जा सकता है?
जी हां, रोजाना सत्तू पीने से आप स्वस्थ रह सकते हैं और अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं। डायबिटीज के मरीजों के लिए भी यह और भी फायदेमंद होता है।

सत्तू को पचने में कितना समय लगता है?
सत्तू का सेवन खाली पेट करने की कोशिश करें, जरूरी नहीं कि सुबह जल्दी उठे, लेकिन खाने के कम से कम 2.5 घंटे बाद। यह बेहतर पाचन सुनिश्चित करता है।

सत्तू कितने प्रकार के होते हैं?
सत्तू अब विभिन्न रूपों में उपलब्ध है जिसमें गेहूं, जौ या ज्वार (ज्वार) शामिल हैं। इन सभी विविधताओं में भुने हुए चने का एक निश्चित प्रतिशत होता है।

सत्तू कितने प्रकार के होते हैं?
सत्तू दो प्रकार के होते हैं एक है चने का सत्तू और दूसरा है जौ मिला सत्तू। दोनों को भून और पीसकर सत्तू बनाया जाता है। सत्तू शरबत को आप नमकीन या मीठा अपनी पसंद के हिसाब से बना सकते हैं। गर्मियों में चने का सत्तू पीना ठीक रहता है

सत्तू को संपूर्ण प्रोटीन कैसे बनाएं?
अनाज के साथ सत्तू (1-2 अनुपात में) मिलाने से प्रोटीन की गुणवत्ता में सुधार होता है और यह एक संपूर्ण प्रोटीन बन जाता है।

1 गिलास सत्तू में कितनी कैलोरी होती है
सुपरफूड सत्तू मिल्कशेक में एक गिलास में लगभग 438 कैलोरी होती है। इसमें कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन की मात्रा बहुत अधिक होती है। इसमें अच्छी मात्रा में फाइबर और कुछ फैट होता है जो इसे बच्चों और काम करने वाले लोगों के लिए आदर्श बनाता है।


ज्वार के आटे से बनी एक रोटी में करीब 30 कैलोरी होती हैं। ये सबसे कम कैलोरी वाली रोटी है। वहीं गेहूं की करीब 30 ग्राम की रोटी में 73 कैलोरी होती हैं।

क्या खाली पेट सत्तू पीना चाहिए?
अगर आपका वजन अधिक है, तो आप रोज सुबह खाली पेट सत्तू का पानी पी सकते हैं। सत्तू में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, इससे आपको वजन घटाने में मदद मिल सकती है। इसके साथ ही सत्तू पीने से मेटाबॉलिज्म भी बूस्ट होता है। सत्तू कैलोरी बर्न करने में सहायता करता है।

सत्तू की तासीर क्या है?
डायटिशियन बताते हैं कि सत्तू की तासीर ठंडी होती है। ऐसे में गर्मियों में गर्मी के कारण बिगड़ने वाला डाइजेशन इसे खाने से सही रहता है। ये पानी की पूर्ति करता है।

सत्तू खाने से क्या फायदा?
सत्तू में मौजूद फाइबर गट की समस्या और कब्ज से निजात दिलाने में काफी मदद करता है। चना या जौ का बना सत्तू डायबिटीज में भी काफी फायदेमंद माना जाता है। आप इसमें चीनी की बजाय नमक मिलाकर इसे किसी भी समय सेवन कर सकते हैं। गर्मी के मौसम में सत्तू के सेवन से शरीर को ठंडा रखा जा सकता है। गर्मियों में सेहत के लिए रामबाण है सत्तू।

Dr. (Vaidhya) Deepak Kumar
Adarsh Ayurvedic Pharmacy
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