कमीश्नर साहब आने वाले हैं, कोई समस्या नहीं आश्रम का मामला सुलट जाएगा!

हरिद्वार। त्यागी होने का नाटक करने वाले कथित भगवाधारी किस प्रकार विलासित भरी जिंदगी जी रहे हैं, इसकी बानगी तीर्थनगरी में दिखायी देती है। मुख्य कर्म को छोड़कर कथित भगवाधारी दलाली, कमीशनखोरी और धर्म के नाम पर लोगों को बेवकूफ बनाकर अपना उल्लू सीधा करने में जुटे हुए हैं। सब कुछ जानने के बाद भी शासन-प्रशासन से जु़ड़े लोग इनकी चरण वंदना में मशगूल रहते हैं जिस कारण से इनके हौसंले बुलंद हैं।


हाल ही में हरिद्वार के एक बड़े भगवाधारी ने एक संत को वर्षों से विवादित चले आ रहे आश्रम के झोल को मिनटों में सुलझा देने का भरोसा दिलाया। भरोसे के पीछे साधु की मदद करना उद्देश्य नहीं था, बल्कि साधु की आड़ लेकर अपना उल्लू सीधा करने की संत की चाल थी।


सूत्र बताते हैं कि एक सप्ताह पूर्व कनखल में निवास करने वाला एक संत एक वरिष्ठ कथित भगवाधारी के यहां पहुंचा। साधारण साधु देखकर भगवाधारी ने उन्हें कोई भाव नहीं दिया, किन्तु जब साधु ने देहरादून में एक करीब छह बीघा में स्थित आश्रम के विवाद के संबंध में चर्चा की तो भगवाधारी में गजब की फूर्ती आ गई। तुरंत भगवाधारी ने अपने चेले को बुलाकर साधु का मोबाइल नंबर नोट करने के निर्देश दिए। भगवाधारी ने कहाकि आपका आश्रम का काम हो जाएगा। कमीश्नर मेला चेला है और दो दिन बाद वह आने वाले हैं। मेरा उनको कहना रहा और आपका काम हो गया।


बता दें कि वैसे यह भगवाधारी दलाली, कमीशनखोरी और लोगांें से माल लेकर उनको पैसा ना देने के लिए चर्चाओं में बने रहता है। फिलहाल साधु भगवाधारी की नियम को भंाप गया और उसने दोबार कथित भगवाधारी के पास ना जाने की सौगंध भी खाई।


वहीं सूत्र बताते हैं कि विगत दिनों एक संगठन के एक सदस्य हरिद्वार आए थे और संत ने उन्हें अपने यहां बुलाया। बुलाने पर वह वहां गए और संत की विलासिता देखकर उनसे रहा नहीं गया और उन्हे कहना ही पड़ा की महाराज साधु होते हुए भी आपके राजाओं जैसे विलासितापूर्ण ठाठ हैं, साधु के लिए यह उचित नहीं और हां इस विलासिता के लिए पैसा आता कहां से हैं। यह सुनकर संत महोदय ने मौन साध लिया।

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