भगवे की मायाः सीएम मेरे शिष्य, कहते ही हो जाएगा चुटकियों में काम!

निर्मल अखाड़े के विवाद को हवा दे रहे भगवाधारी
हरिद्वार।
भगवे को त्याग का प्रतीक माना गया है। संन्यास धारण करने के बाद समानता ही संत की पहचान हो जाती हैं, किन्तु तीर्थनगरी हरिद्वार में भगवाधारण करने वाले कलाकारों की कमी नहीं हैं। कलाकार भी उच्चकोटि के। जो दूसरों की आड़ लेकर अपना उल्लू सीधा करने के काम में ही लगे रहते हैं। इतना ही नहीं अपने स्वार्थ के लिए ये आपस में एक-दूसरे में झगड़ा करवाने में भी पीछे नहीं हैं। इनका कोई अपना नहीं है। जहां स्वार्थ सिद्ध हो वहीं इनका अपना हो जाता है।


बता दें कि बुधवार को हरिद्वार के एक बड़े कहे जाने वाले संत के आश्रम में निर्मल अखाड़े के विरोधी गुट के लोग पहुंचे। वहां पहुंचने पर उनकी काफी आवभगत की गयी। चर्चा का दौर भी चला। इसी दौरान निर्मल अखाड़े के विवाद की बात भी शुरू हो गयी। तभी संत ने विरोधी गुट के लोगों को आश्वासन देते हुए कहाकि तुम चिंता मत करो, सीएम अपने शिष्य हैं। वह गुरुवार को हरिद्वार आ रहे हैं। मैं उनसे कहूंगा और वे चुटकियों में तुम्हारा काम कर देंगे। सूत्र बताते हैं कि संत ने कहाकि सीएम मुझे अपना गुरु मानते हैं। वे मेरी बात को टाल ही नहीं सकते। सीएम का आश्वासन मिलने से निर्मल अखाड़े के विरोधी गुट के संत भी प्रसन्न हो गए। जबकि हरिद्वार आकर सीएम ने उस संत से मिलना भी गंवारा नहीं समझा।


मजेदार बात यह कि सीएम से काम करवाने और करवा देने वालों की बुद्धि को देखिए की जब मामला न्यायालय में विचाराधीन है तो इसमें सीएम और संत की सिफारिश क्या कर सकती है।
वैसे इन कालनेमियों का काम यही है कि बड़े राजनेताओं को अपने यहां बुलाओ और उनके आगमन को जब तक सत्ता में हैं, भुनाते रहो। ऐसे संत अपने यहां किसी भी नेता के आने पर प्रचार करते हैं। जिस कारण से कोई ना कोई व्यक्ति इनके पास काम करवाने के लिए सिफारिश लेकर पहुंचता है। फिर ये संत रूपी कालनेमि उससे सौदा करते हैं और नेताओं की आड़ लेकर लाखों-करोड़ों रुपये आम लोगों से ऐंठने का काम करते हैं।


सबसे बड़ी बात यह कि प्रत्येक जिले में सरकारी खुफिया तंत्र होता है। तो क्यों नहीं खुफिया तंत्र सरकार को ऐसे कालनेमि संतों की करतूतों को सरकार तक पहुंचाता। ऐसे संतों के पास आने से संतों के तो वारे-न्यारे हो जाते हैं, किन्तु नेताओं को इसका कितना नुकसान होता है, यह उन्हें भी मालूम नहीं होता। कारण की कालनेमियों की हकीकत को जनता जानती है और जनता ही सरकार बनाती है और गिराती भी जनता ही है।

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