हरिद्वार। श्री पंच दशनाम शंभु आवाह्न अखाड़े के महंत गोपाल गिरि महाराज जूना अखाड़े के तत्वावधान में निकाली जा रही छड़ी यात्रा पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने छड़ी यात्रा को प्राचीन छड़ी यात्रा बताने पर भी कड़ा एतराज जताया है।
महंत गोपाल गिरि महाराज ने कहाकि जिस छडी यात्रा के नाम से अखाडा परिषद से सन् 2020 में प्रस्ताव पारित किया। फिर छड़ी यात्रा प्राचीन कैसे हो गई। कहाकि 2021 में कोविड़ के चलते छड़ी यात्रा नहीं निकली। 2020 में पहली बार यात्रा निकाली गई। बावजूद इसके छड़ी यात्रा को प्राचीन बताया जाने लगा। कहाकि छड़ी यात्रा को सन् 805 में आदी गुरु शंकराचार्य जी के साथ आवाहन, अटल व महा निर्वाणी के साधु लेकर गये थे। तब आनन्द, निरंजनी, अग्नि व जूना अखाड़ा था ही नहीं।
शंकराचार्य के समय से निकाली जाने वाली छड़ी यात्रा को तभी से आवाहन अखाड़े के साधु ले जाते रहे हैं। यह छड़ी यात्रा ऋषिकेश गौरीशंकर महादेव त्रिवेणी घाट से पैदल जाती थी, जो आज भी जाती है। किन्तु दो बार निकाली गई यात्रा प्राचीन हो गई। जिस अखाड़े का अस्तित्व भी बाद में आया वह प्राचीन अखाड़ा हो गया। उन्होंने इस कृत्य को लोगों में भ्रम पैदान करने वाला बताया।


