हरिद्वार। 28, 29 अक्टूबर की अर्धरात्रि को खंडग्रास चंद्रग्रहण लगेगा, जो पूरे भारत में दृश्य होगा। अश्विन पूर्णिमा को लगने वाले इस ग्रहण का स्पर्श 29 अक्टूबर की अर्धरात्रि 1 बजकर 5 मिनट पर ग्रहण का मोक्ष रात्रि 2 बजकर 23 पर होगा। चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण के स्पर्श से 9 घंटे पूर्व लग जाता है। इसलिए ग्रहण का सूतक 28 अक्टूबर को सांयकाल 4 बजकर 5 मिनट से लगेगा। यह ग्रहण इस वर्ष का अंतिम ग्रहण होगा।
ग्रहण के संबंध में पं. देवंेन्द्र शुक्ल शास्त्री ने बताया कि ग्रहण का सूतक काल आरम्भ होने से लेकर ग्रहण के मोक्ष तक देव प्रतिमाओं का स्पर्श वर्जित होता है। इसलिए घर व मंदिरों के कपाट 28 अक्टूबर को ग्रहण का सूतक लगने के साथ ही बंद कर दिए जायेंगे। बताया कि ग्रहण के सूतक काल से ग्रहण मोक्ष तक यदि ऐसा संभव न हो तो ग्रहण काल में जप, पाठ करना पुण्य फलदाई होता है। जिनकी कुंडली में ग्रहण योग है वे इस दौरान स्वंय जप करें या ब्राह्मणों के द्वारा भी जप कराया जा सकता है। बताया कि ग्रहण के सूतक का कोई भी नियम खान-पान गर्भवती स्त्री, बालक, वृद्ध रोगी, बच्चों पर लागू नहीं होता। गर्भवती स्त्रियांें को ग्रहण स्पर्श से ग्रहण मोक्ष तक चंद्रमा की की रोशनी से बचना चाहिए। ग्रहण काल में सोना और खाने का निषेध बताया गया है। सूतक लगने से पूर्व घर रखे खाद्य पदार्थांे में तुलसी, कुशा आदि डाल देना चाहिए।
बताया कि शरद पूर्णिमा के दिन खीर बनाकर चन्द्रमा की शीतल छाया में रात्रि में रखने और अगले दिन उसको खाने का विधान है। किन्तु चन्द्र ग्रहण लगने के कारण लोगों में खीर बनाने और रात्रि में रखने को लेकर ऊहापोह की स्थिति है। लोगों को शंका है कि सूतक काल में खीर कैसे बनायी जा सकती है और ग्रहण काल में उसे कैसे रखा जा सकता है। इस संबंध में श्री शास्त्री ने बताया कि सूतक काल आरम्भ होने से पूर्व खीर को बनाकर रखा जा सकता है। सूतक काल आरम्भ होने पर उसमें तुलसी पत्र व कुशा डालकर रात्रि में किसी कपड़े ढ़ककर चन्द्रमा की चांदनी में रखा जा सकता है, किन्तु सूतक काल व ग्रहण काल में खीर बनाना, खाना वर्जित बताया गया है।