मंदिर की व्यवस्था बदलने का अधिकार केवल स्वामी केशवानदं के वारिशानों को
हरिद्वार। चण्ड़ी देवी मन्दिर को लेकर लम्बे समय तक चले विवाद के बाद रोहित गिरि के पक्ष में हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया था। महिला से छेड़छाड़ के आरोप लगने और उनकी गिरफ्तारी के बाद मामले में नया मोड़ आ गया। मंदिर का प्रबंधन रोहित गिरि की पत्नी और पुत्र ने अपने अधिकार में ले लिया, किन्तु इस मामले में हाईकोर्ट ने मंदिर के प्रबंधन को जिम्मा बदरी-केदार मंदिर समिति को सौंप दिया। हालांकि अब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है और सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखण्ड सरकार को नोटिस जारी किया है।
बहरहाल कोर्ट को जो निर्णय होगा, उसका सभी को अमल करना पड़ेगा, किन्तु मंदिर के स्वामित्तव को लेकर एक और नया दावा सामने आया है। श्री शंभू पंच दशनाम आवाह्न अखाड़े के श्रीमहंत गोपाल गिरि महाराज ने मंदिर की सम्पत्ति को दशनाम संन्यासियों की सम्पत्ति बताया है। उनका कहना है कि चंडी देवी मंदिर दशनाम साधुओं की सम्पत्ति है, ऐसे में किसी अन्य को उसका अधिकार सौंपना गलत है।
उन्होंने बताया कि चंडी देवी मंदिर की सम्पति अखाड़े के स्वामी केशवानंद गिरि महाराज की थी। जिन्हांेंने गोस्वामियों को मंदिर की पूजा करने के लिये रखा था, न की उन्हें मन्दिर दान किया था। कहाकि इसी प्रकार केशव आश्रम भी स्वामी केशवानंद गिरि महाराज का था।
श्रीमहंत गोपाल गिरि महाराज ने कहाकि मंदिर में पूजारी बदलने या अन्य व्यवस्थाओं को बदलने का अधिकार स्वामी केशवानंद गिरि महाराज के वारिशानों को हैं। बताया कि चण्डी मंदिर के डाण्ड़ी बडकोट मंे भी काफी भूमि गोस्वामिओं को पट्टे पर दी हुई है। कहाकि वे हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।