हरिद्वार। तीर्थनगरी के आश्रम-अखाड़ों में विवाद होना आम बात है। अधिकांश विवाद सम्पत्ति के कारण ही उत्पन्न हैं। वर्तमान में ऐसा ही विवाद श्री दक्षिण काली मंदिर को लेकर सामने आया है। जहां स्वंय को ब्रह्मचारी ब्रह्मलीन स्वामी सुरेशानंद का शिष्य बताने वाले ब्रह्मचारी स्वामी विवेकानंद ने आचार्य मण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि महाराज के खिलाफ वाद दायर किया है। इसके साथ ही दक्षिण काली मंदिर पर अपना अधिकार बताया है। वहीं दूसरी ओर विगत दिनों श्री दक्षिण काली मंदिर के प्रबंधक श्री वाजपेयी ने विवेकानंद ब्रह्मचारी के खिलाफ फर्जी दस्तावेजों के आधार पर दक्षिण काली मंदिर पर अपना अधिकार जताने का आरोप लगाते हुए श्यामपुर थाने में उनके खिलाफ मुकद्मा दर्ज कराया है। जबकि सूत्र बताते हैं कि स्वामी कैलाशानंद गिरि महाराज को अग्नि अखाड़े के सभापति ब्रह्मचारी मुक्तानंद महाराज ने आजीवन श्री दक्षिण काली मंदिर का व्यवस्थापक बने रहने का अधिकार दिया हुआ है। जबकि स्वामी मुक्तानंद व स्वामी कैलाशांनद पूर्व में गुरु परम्परा में चाचा भतीजे हैं। बावजूद इसके सूत्र बताते हैं कि स्वामी मुक्तांनद ब्रह्मचारी महाराज ने ब्रह्मचारी विवेकानंद को अपने गुजरात के आश्रम ब्रह्मानंद धाम में शरण दी हुई है। सूत्रों का कहना है कि स्वामी कैलाशांनद महाराज के साथ कुछ भी हो किन्तु अपनी फंसी गर्दन बचाने के लिए ब्रह्मचारी विवेकानंद को अपने आश्रम में शरण दी हुई है। चर्चा है कि स्वामी कैलाशानंद के विरोधी को अपने यहां शरण देकर मुक्तांनद ब्रह्मचारी क्या संदेश देना चाहते हैं। वे स्वामी कैलाशानंद के समर्थन में हैं या फिद उनके विरोधी ब्रह्मचारी विवेकानंद के, यह चर्चा संत समाज में हो रही है।

भतीजे चेले ने चाचा गुरु के विरोधी को दी शरण


