हरिद्वार। हरिद्वार तीर्थनगरी के साथ संत नगरी भी है। यहां बहुतायत में संत निवास करते हैं। किन्तु वर्तमान में संतों के बीच कालनेमियों का बोलबाला बढ़ गया है। जो जितना बड़ा कालनेमी उसकी उतनी ही पूंछ हो रही है। सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोगों से लेकर अर्दली तक इनकी वंदना करते रहते हैं। सरकार के साथ प्रशासन भी इनके इर्दगिर्द घुमता नजर आता है। जिस कारण से भगवाधारी कथित कुछ कालनेमियों के हौंसले बुलंद हैं और इसी मद में चूर होकर वह अनैतिक कार्यों को बखूबी अंजाम दे रहे हैं।
हरिद्वार में कई कालनेमी ऐसे हैं, जहां सत्ता व विपक्ष के नेता चरण वंदना करने के लिए आए दिन पहुंचते रहते हैं। जब सत्ताधारी इनकी चरण वंदना करते नहीं थकते तो प्रशासन में बैठे अधिकारी कैसे पीछे रह सकते हैं। आए दिन उनके द्वारा भी कालनेमियों की चरण वंदना का सिलसिला जारी रहता है।
यहां ऐसे कालनेमी भी हैं जिन पर बलात्कार, अपहरण, दूसरे की सम्पत्ति पर जबरन कब्जा करना, दूसरे की सम्पत्ति पर कब्जा कर उसे बेचना, लोगों को डराना-धमकाना, नेता और अधिकारियों की दलाली का कार्य करना, दूसरों को सम्पत्ति दिलाने के नाम पर धन ठगना, प्रापर्टी डीलर का कार्य, रियल स्टेट का कारोबार, दूसरों के नाम पर ठेके लेना, दूसरों को झूठे मुकद्मों में फंसाना आदि ऐसे कार्य हैं जो भगवे की आड़ में कुछ कालनेमी कर रहे हैं। यह सब इसलिए हो रहा है कि सत्ता, विपक्ष और प्रशासन सब इनकी चरण वंदना में जुटे रहते हैं। यहां तक की कुछ नेताओं और कालनेमियों के बीच साझेदारी भी है। जिस कारण से इनके हौंसले बुलंद होते हैं और ये मनमर्जी काम करने से नहीं घबराते।
सब कुछ जानने के बाद भी सत्ता के लोग इसलिए कार्यवाही नहीं करते की उनके वोट बैंक पर कहीं आंच न आ जाए। जबकि विपक्ष इन पर अपनी ओर करने के लिए डोरे डालता रहता है। जबकि दोनांे ही इस बात को भलीभांति जानते हैं कि ये कालनेमि किसी के नहीं। इनको तो बस धन और विलासितापूर्ण जीवन जीने से मतलब होता है। बावजूद इसके इन्हें भगवान की भांति पूजा जाता है। इनकी पूजा-अर्चना का मतलब शराब, शबाब और कबाब होता है।
आलम यह है कि दर्जनों मामले होने के बाद भी इनसे बड़ा धर्मात्मा और कोई नहीं। यहां ये कालनेमि तीर्थनगरी में कितना भी बड़ा गुनाह क्यों ने कर लें, किसी की इनके खिलाफ कार्यवाही की हिम्मत नहीं होती। लोगांे की सम्पत्ति पर कब्जा करने, अपहरण, महिलाओं से छेड़छाड़, दूसरों की सम्पत्ति को धोखाधड़ी से बेचना, फर्जीवाड़ा करना आदि अनेक मामलों की शिकायत होने के बाद इन पर कोई कार्यवाही नहीं हो पायी। इनके खिलाफ शिकायत पर न तो सरकार और न ही प्रशासन कोई कार्यवाही करता है। जो भी शिकायत आती है उसे रद्दी की टोकरी में डाल दिया जाता है। किसी आम आदमी के खिलाफ शिकायत होने पर वह पुलिस और न्यायालय के चक्कर काटते-काटते थक जाता है, किन्तु उसे न्याय नहीं मिल पाता। जबकि प्रशासन खुद कालनेमियों के पास चलकर जाता है। कालनेमियों के पास अकूत सम्पत्ति होने के कारण सत्ता इनके पीछे-पीछे दौड़ती है। सत्ता और गठजोड़ के कारण कालनेमी खुद को खुदा समझने लगे हैं। जिस कारण से तीर्थनगरी की गरिमा को ये कालनेमी दिन प्रतिदिन गिराने का कार्य कर रहे हैं।
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