सच्चे संत हैं तो चोला उतारकर पश्चाताप करें अखाड़ा परिषद अध्यक्ष व महामंत्री’ बृहस्पति गिरि

सम्पत्ति के लिए बताते हैं दूसरों को फर्जी संत
हरिद्वार।
अखलनाथ मठ बरेली के श्री महंत बृहस्पति गिरि महाराज ने कहाकि अखाड़ा परिषद के कुछ पदाधिकारी सम्पत्तियों पर कब्जा करने के लिए ही बने हैं। अपने प्रभाव के चलते इन्होंने कई साधुओं को बर्वाद किया है। उन्होंने कहाकि अरबों रुपये की सम्पत्ति पर कब्जा करवाने के लिए अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने पहले तो उन्हें अखलनाथ मठ से जबरन बाहर कर अपने खास कालू गिरि को मठ पर कब्जा करवाया। उसके बाद वे कुछ कार्यवाही न कर सकें और समाज से उन्हें दूर कर दिया जाए, इसके लिए वर्ष 2017 में उन्हें फर्जी संत बताकर संत समाज से निष्कासित कर दिया। मठ पर कब्जा करवाने के छह माह बाद ही उन्हें फर्जी सत घोषित कर दिया गया।

महंत बृहस्पति गिरि महाराज ने कहाकि वे परम्परा से साधु हैं। अखाड़ा परिषद को यह बताना चाहिए की वे किस प्रकार से फर्जी हैं। उन्होंने कहाकि संत समाज से निष्कासित करने वाले और दूसरों को फर्जी बताने वाले स्वंय ही फर्जी संत हैं। क्यों की सम्पत्ति के लालच में ही वे पुरी नामा से गिरि नामा हो गए। ऐसे में अखाड़ा परिषद अध्यक्ष के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं। क्यों संत समाज ऐसे फर्जी भगवाधारियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं करता। महंत बृहस्पति गिरि महाराज ने कहाकि गलत को गलत न कहना भी पाप है, और फर्जी संतों का साथ देकर कुछ लोग अधर्म का कार्य कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जिस सम्पत्ति के लिए उन्हें फर्जी संत घोषित किया गया उसका मुकद्मा वे जीत गए हैं। न्यायालय ने ही उन्हें सम्पत्ति का मालिक माना है। ऐसे में मठ पर जबरन कब्जा करवाने वाले अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष व महामंत्री को यदि वे वास्तव में संत हैं तो, संत का चोला उतारकर पश्चाताप करना चाहिए।

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