स्वामी रूपेन्द्र प्रकाश महाराज के समर्थन में आया बड़ा अखाड़ा

बोले स्वामी रूपेन्द्र प्रकाश महाराज को बयान देने का पूरा अधिकार
श्रीमहंत हरिगिरि महाराज अखाड़े में किसी पद पर नहीं, फिर कैसे बने बैठे हैं महामंत्री


हरिद्वार।
अखाड़ा परिषद का वर्तमान में कोई अस्तित्व न होने संबंधी महामण्डलेश्वर स्वामी रूपेन्द्र प्रकाश महाराज के बयान पर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष व निरंजनी अखाड़े सचिव श्रीमहंत रविन्द्र पुंरी महाराज के उन्हें बयानबाजी न करने की नसीहत देते हुए उन्हें बयान देने के अयोग्य करार दिया था, जिस पर आज स्वामी रूपेन्द्र प्रकाश महाराज के समर्थन में उनके अखाड़े के पदाधिकारियों ने पलटवार किया है। स्वामी रूपेन्द्र प्रकाश महाराज के समर्थन में अब बड़ा अखाड़ा भी उनके साथ आ खड़ा हुआ है। जिस कारण से इस मामले में अभी और बयानबाजी की संभावना है।


इस संबंध में श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के कोठारी महंत राघवेन्द्र दास महाराज ने स्वामी रूपेन्द्र प्रकाश के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि यह परम्परा रही है कि कुंभ पर्व की समाप्ति के बाद अखाड़ा परिषद स्वंय भंग हो जाती है। इस कारण से वर्तमान में अखाड़ा परिषद का कोई अस्तित्व नहीं है। कहाकि जिस प्रकार से अर्द्ध कुंभ को कुंभ कहकर प्रचारित किया जा रहा है, परम्परा के मुताबिक वह भी गलत है। उन्होंने कहाकि जिस समय अर्द्ध कुंभ की बात कही जा रही है, उस समय अखाड़े के समस्त पदाधिकारी नासिक कुंभ की तैयारियों में रहेंगे। हरिद्वार में न तो कोई पंच परमेश्वर होगा और न ही कोई साजो सामान। इतना ही नहीं अर्द्ध कुंभ में अखाड़ों में धर्मध्वजा भी नहीं स्थापित होगी, जबकि अखाड़ों के कुंभ आदि पर्व के समस्त कार्य धर्मध्वजा के नीचे ही होते हैं। किन्तु जिस प्रकार सरकार की तैयारी होगी, उसके मुताबिक अखाड़ा निर्णय लेगा, किन्तु अर्द्धकुंभ को कुंभ कहना गलत है।


बड़ा अखाड़ा उदासीन के मुकामी महंत सुर्यांश मुनि महाराज ने भी स्वामी रूपेन्द्र प्रकाश महाराज के बयान का पूर्ण समर्थन करते हुए कहा कि श्रीमहंत रविन्द्र पुरी का यह बयान की स्वामी रूपेन्द्र प्रकाश को कोई बयान देने का अधिकार नहीं है, यह गलत है। स्वामी रूपेन्द्र प्रकाश को अखाड़े ने महामण्डलेश्वर बनाया है। वह अखाड़े जिम्मेदार पद पर हैं, उन्हें बयान देने का पूर्ण अधिकार है। कहाकि जब व्यक्ति किसी जिम्मेदार पद पर होता है, तो समाज में जो गलत हो रहा है, उसके खिलाफ बोलना उसका धर्म बनता है। जो स्वामी रूपेन्द्र प्रकाश महाराज ने कहा वह बिल्कुल सत्य है। वर्ततान में अखाड़ा परिषद नाम की कोई संस्था अस्तित्व में नहीं है। कहाकि प्रत्येक छह वर्ष के बाद परिषद का चुनाव होता है। अब नासिक कुंभ में अखाड़ा परिषद का चुनाव होगा, उसके बाद ही कोई अध्यक्ष व महामंत्री सामने आएगा।


उधर स्वामी महेश्वरांनद सरस्वती महाराज ने भी स्वामी रूपेन्द्र प्रकाश महाराज के बयान का समर्थन करते हुए कहाकि जिस संस्था के पास बहुमत नहीं है, वह कैसे दूसरे पर ऊंगली उठा सकते हैं। उन्होंने अखाड़ा परिषद के बायलॉज का हवाला देते हुए कहाकि यह परम्परा रही है कि जब अखाड़ा परिषद का यदि संन्यासी अध्यक्ष होता है तो महामंत्री बैरागी, उदासी व निर्मल अखाड़े में से कोई एक बनता है। यदि बैरागी, उदासी व निर्मल अखाड़े में से कोई अध्यक्ष होता है तो संन्यासी अखाड़े का महामंत्री होता है, किन्तु यहां तो अपने ही बनाए नियमों को ताक पर रखा हुआ है। संन्यासी ही अध्यक्ष और संन्यासी ही महामंत्री बना हुआ है। स्वामी महेश्वरांनद सरस्वती महाराज ने कहाकि इतना ही नहीं अखाड़े के पदाधिकारी को ही चुनाव में वोट देने और परिषद में पदाधिकारी बनने का अधिकार है। किन्तु यहां तो महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरि महाराज न तो अखाड़े में कोई पदाधिकारी हैं और न ही उन्हें वोट डालने का अधिकार है। फिर कैसे वह स्वंय को महामंत्री घेषित किए हैं। कहाकि जो संस्था नियमों के विरूद्ध संचालित होती है, वह तो स्वंय में ही अवैध है। उन्होंने स्वामी रूपेन्द्र प्रकाश महाराज के बयान का समर्थन करते हुए संतों को नियम व मर्यादा के अनरूप चलने की बात कही।

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