हरिद्वार। बसपा का दामन थामने व टिकट पाने के चंद घंटों बाद ही बसपा को अलविदा कहने वाली भावना पांडेय शुक्रवार को भाजपा का दामन थामेंगी। भावना पांडेय के भाजपा में आने के बाद से पार्टी को मजबूती मिलेगी।
पहले अपने बलबूते चुनाव लड़ने और फिर एकाएक बसपा का दामन थाम लेने से राजनीति में बड़ी हलचल भावना पांडेय ने मचा दी थी। ऐसा क्या हुआ की दामन थामने के चंद घंटों बाद ही भावना पांडेय को बसपा को अलविदा कहना पड़ा और इसके साथ ही भावना पांडेय ने भाजपा प्रत्याशी त्रिवेन्द्र सिंह को अपना भाई बताते हुए उनके समर्थन की घोषणा कर डाली।
सूत्र बताते हैं कि भावना पांडेय की बसपा छोड़ने की दो बड़ी वजह रही। एक तो टिकट मिलने के बाद उसका एहसान उतारने में उनके समक्ष कठिनाई और दूसरा बड़ा कारण निर्दलीय प्रत्याशी उमेश कुमार को बसपा में जाने से रोकना था।
बता दें कि निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे निर्दलीय विधायक कुमार ने पहले कांग्रेस से टिकट पाने के लिए ऐडी-चोटी का जोर लगाया। कई दिनों तक दिल्ली दरबार में भी डटे रहे, किन्तु हरीश रावत से पूर्व में पंगा लेना उन्हें भारी पड़ा और कांग्रेस ने उन्हें टिकट देने से इंकार करते हुए हरीश रावत के बेटे को टिकट थमा दिया।
सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस के दर से खाली हाथ लौटने के बाद उमेश कुमार ने बसपा से टिकट लेने की कोशिश की। यह भी सर्वविदित है कि भावना पांडेय और उमेश कुमार की अदावत किसी से छिपी नहीं है। दोनों के बीच 36 को आंकड़ा रहा है। जिसके चलते दोनों के बीच आरोप-प्रत्यारोप भी लगाए गए। उमेश कुमार के बसपा के सम्पर्क में होने की सूचना मिलते ही भावना पांडेय ने इस मौके को लपका और बसपा से टिकट ले लिया, किन्तु भाजपा प्रत्याशी त्रिवेन्द्र सिंह रावत से मुलाकात और टिकट के बदले एहसान उतारने में विफल रहने के तत्काल बाद भावना पांडेय ने चंद घंटों बाद ही बसपा को अलविदा कह दिया, जिससे कांग्रेस से तिरस्कृत हुए स्टिंग मास्टर उमेश कुमार को बसपा से भी कुछ नहीं मिल पाया। सूत्रों के मुताबिक भावना पांडेय भले ही चुनावी मैदान से हट गई हों, किन्तु बिना चुनाव लड़े उन्होंने अपने प्रतिद्वदी उमेश कुमार को बसपा में भी जाने से रोककर उन्हें मात दे दी।
अब भावना पांडेय शुक्रवार को यदि सब कुछ ठीक रहा तो भाजपा का दामन थामेंगी।