गर्दन बचाने को राजनेताओं की चरण वंदना कर रहे भगवाधारी

हरिद्वार। भगवा धारण करने के बाद व्यक्ति के सभी सांसारिक बंधन समाप्त हो जाते हैं। ऐसा धर्म शास्त्रों में कहा गया है, किन्तु कलयुग में इसके बाद भी परिवारों का पालन-पोषण करना आम बात हो गयी है। भगवा धारण करने के बाद भी रिश्ते-नाते निभाए जा रहे हैं। यहां तक की भगवा धारण किए हुए लोगों को मिलकर लुटने, उनकी सम्पत्ति हडपने का कार्य भी किया जा रहा है। कई प्रकार के व्यापार भी संचालित किए जा रहे हैं। ऐसे में भगवा धारण करने का औचित्य क्या रह जाता है। वर्तमान में भगवा धारण करना विलासितपूर्ण जीवन जीने की निशानी बन गया है। स्थिति यह है कि कभी भगवाधारियों के चरणों मंे राजनेता पड़ा करते थे आज भगवाधारी राजनेताओं की चरण वंदना करते देखे जा सकते हैं। हाल ही में कुछ भगवाधारी राजनेताओं की चरण वंदना करने में जुटे रहे। अपनी गर्दन बचाने के लिए कुछ वरिष्ठ संत एक राजनेता की शरण में जा पहुंचे। सूत्र बताते हैं कि एक मौत के मामले मंे जिसकी जांच होनी है, से बचने के लिए भगवाधारियों ने राजनेता की शरण ली। सूत्र बताते हैं कि राजनेता की शरण में जाने वाले वैसे तो अपनी ढपली और अपना अलग राग छेड़ते हैं, किन्तु आपस में ये रिश्तेदार बताए जाते हैं। पूर्व में अपने रिश्तेदार को फंसता देख दूसरे रिश्तेदार ने दो पक्षों के बीच समझौता कराया था। सूत्र बताते हैं कि समझौता करने का एक कारण तो रिश्तेदार होना था ही दूसरा सम्पत्ति के घालमेल भी दोनों की हिस्सेदारी थी। वहीं यूपी के एक बड़े मठ पर दोनों ने मिलकर बड़ी सम्पत्ति को भी कब्जाया हुआ है। भले ही भगवाधारी अपने बचने के लिए राजनेताओं की चरण वंदना में जुटे हों, किन्तु इन पर गाज गिरना तय है। समझौता होने के बाद भी दूसरा पक्ष मंुह में विष भरे बैठा है और समय आने पर अपना विष उगलने को तैयार है। इसके साथ ही भगवाधारियों की एक बड़ी जमात भी इनके कारनामों से त्रस्त आकर इन पर कार्यवाही करने का मन बना चुकी है। जिसके लिए भगवाधारी को बुलाया भी गया, किन्तु वे कार्यवाही से बचने के लिए नहीं आए। बावजूद इसके कार्यवाही शीघ्र ही अमल में लायी जा सकती है। जिसके बाद से इनकी पद और प्रतिष्ठा शून्य हो जाएगी और फिर इनका राजनेताओं की चरण वंदना करना और रिश्तेदारी निभाना भी मुश्किल हो जाएगा।

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