शीतकाल के लिए बंद हुए बाबा केदार के द्वार, अब ऊखीमठ में देंगे दर्शन

केदारनाथ धाम के कपाट भैया दूज पर्व पर शुभ मुहूर्त में वैदिक मंत्रोच्चार एवं विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। इसके बाद भगवान केदारनाथ की पंचमुखी डोली को विधि-विधान से मंदिर परिसर से रवाना हो गई। बाबा केदार की शीतकालीन पूजा गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में होगी। इस अवसर पर बाबा केदार के कपाट बंद होने के समय हर हर महादेव के जयकारों से केदारघाटी गूंज उठी। चारधाम यात्रा अपने समापन की ओर बढ़ चली है।

भगवान शिव के 11वें ज्योतिर्लिंग भगवान केदारनाथ मंदिर के कपाट आज सुबह 8 बजे छह माह के लिए श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए गए हैं।भगवान केदारनाथ की पंचमुखी डोली को विधि-विधान से मंदिर परिसर से रवाना हुई।जिसके बाद श्रद्धालु बाबा केदार की शीतकाल में पूजा-अर्चना ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में कर सकेंगे। कपाट बंद होने की पूरी तैयारियां मंदिर समिति द्वारा पूर्व में ही कर ली गई थी।बाबा केदार की भोग मूर्ति अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ आएगी।जहां श्रद्धालु छह माह तक बाबा केदार का दर्शन और पूजन कर आशीर्वाद ले सकते हैं। शीतकाल के दौरान चारों धामों में भारी बर्फबारी होती है। इसलिए चारों धाम छह महीने शीतकाल में बंद रहते हैं।

मान्यता है कि बदरी केदार में छह महीने इंसान और छह महीने देवता पूजा करते हैं। इसलिए छह माह कपाट बंद रहते हैं।18 नवंबर को बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ ही इस साल के लिए चारधाम यात्रा का समापन हो जाएगा।

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