हरिद्वार। पर उपदेश कुशल बहुतेरे….. मानस की यह चौपाई तीर्थनगरी के कुछ कथित बाबाओं पर सटीक बैठती है। कुछ बाबा धर्म, मर्यादा, नैतिकता की दुहाई तथा पापाचार से बचने के उपदेश देते नहीं थकते हैं। बावजूद इसके जिस कार्य को आम जन को यह पाप बताकर उनसे दूर रहने की सलाह देते हैं, स्वंय उसी मार्ग का ये अनुसरण करते हुए आकंठ पापाचार में डूबे हुए हैं।
धन-सम्पदा इकट्ठा करना और विलासितापूर्ण जीवन जीना इनकी आदत बन चुका है। यही कारण है कि हरिद्वार में जीतने भी मुकदमें हैं उनमें से जमीन संबंधी मुकदमें बाबाओं के हैं।
आलम यह है कि करीब 90 करोड़ से अधिक की दूसरे की भूमि एक बाबा अपनी बताकर बेचकर खा चुका है। इतना ही नहीं बाबा ने एक सरकारी सम्पत्ति को भी अपने नाम करवा लिया है।
बताया जाता है कि एक अधिकारी जिसे बाबा अपना कथित चेला बताता था और चेला लम्पट बाबा को अपना गुरु, उसी बाबा ने अपने चेले से सरकार सम्पत्ति को अपने नाम करवाया।
सूत्र बताते हैं कि इसकी एवज में बाबा ने अपने अधिकारी लेचे को उसकी सेवा के लिए लड़कियां उपलब्ध करायीं। जब तक जमीन बाबा के स्वामित्तव में नहीं आई बाबा इसी प्रकार अपने अधिकारी चेले की सेवा करता रहा। जमीन स्वामित्त में आने के बाद बाबा ने चेले की सेवा बंद कर दी और उसके गम में चेला बीमार हो गया। सूत्र बताते हैं कि फिलहाल इस मामले में जांच चल रही है।