परमात्मा से आत्मा का मिलन ही है राजयोग
हरिद्वार। प्रसिद्ध आध्यात्मिक संस्था प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की अंतर्राष्ट्रीय आध्यात्मिक वक्ता राजयोगिनी बीके शिवानी ने कहा कि आज हम साधनों और परिस्थितियों के गुलाम हो गए हैं। हमें इनकी गुलामी से मुक्ति पाकर ही स्वराज यानी आत्मनिर्भर भारत बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि राम राज्य कब आएगा, हमें इसका इंतजार नहीं करना है, बल्कि राम राज्य लाने के लिए हमें अभी से प्रयास करने होगें।
बी के शिवानी आज हरिद्वार में प्रेम नगर आश्रम के सभागार में आयोजित आध्यात्मिक कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बोल रही थी। इस कार्यक्रम का आयोजन प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय सेवा केंद्र हरिद्वार द्वारा किया गया था। शिवानी ने संतों के साथ संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर समारोह की शुरुआत की। बीके शिवानी का हरिद्वार के सेवा केंद्र की प्रभारी मीना दीदी ने उन्हें पुष्प कुछ भेंटकर स्वागत किया। उनके व्याख्यान को सुनने के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ा। उन्होंने कहा कि त्रेतायुग में भगवान प्रभु राम और और रावण दोनों हुए हैं। रामराज्य का मतलब सत्य, शांति, सुखमय और आध्यात्मिक जीवन जीना है जबकि रावण राज्य के मायने विकारों से युक्त जीवन जीना है। रावण के 10 सिर थे यानी 10 विकार काम, क्रोध, लोभ, अहंकार,मोह, निंदा, आलस्य आदि। हमें इन विकारों को जीवन से समाप्त कर यानी पराजित कर रामराज्य की स्थापना करनी है।
उन्होंने कहा कि अयोध्या में 22 जनवरी को प्रभु श्री राम की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा कर राम राज्य की स्थापना करने का संकल्प लिया था। इस संकल्प को सिद्धि तक पहुंचाने के लिए हमें किसी का इंतजार नहीं बल्कि सुख शांति स्नेह की स्थापना करने के प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि इस समय घोर कलयुग चल रहा है और कलयुग के बाद सतयुग आता है। हमें रामराज्य यानी सतयुग डर गुस्सा नाराजगी दिखाकर नहीं बल्कि प्यार और शांति से लाना होगा। इस समय राम राज्य को लाने के लिए पूरे देश में लहर चल रही है। राम राज्य के बिना स्वराज की कल्पना नहीं की जा सकती।
उन्होंने कहा कि आधुनिकता की दौड़ में हम आज इंद्रियों के गुलाम हो गए हैं। साधनों के ऊपर निर्भर हो गए हैं। हमें साधनों का गुलाम नहीं बल्कि उनका मालिक बनना है। तभी हम आध्यात्मिक सुख की ओर जा सकते हैं। और यही राजयोग का चमत्कार है। यह सब संकल्प से सिद्धि की ओर जाकर ही हो सकता है।
उन्होंने कहा कि परमात्मा से आत्मा का मिलन ही राजयोग है और इसके लिए हमें जीवन में शुद्ध संस्कारों का निर्वहन करना होगा। उन्होंने कहा कि मनुष्य के जो कर्म होते हैं, वही उसके साथ अगले जन्म के लिए जाते हैं। और हमारे इस जन्म के कर्म हमें अगले जन्म का निर्धारण करते हैं। और हमारे इस जन्मों के कर्मों का लेखा-जोखा हमारे अगले जन्म को निर्धारित करता है।
इस अवसर पर महंत गुरमीत सिंह, संत डॉ. रवि देव शास्त्री, उत्तराखंड महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष डॉ संतोष चौहान, ऋषिकेश एम्स की निदेशक मीनू सिंह, बीएचईएल हरिद्वार के पूर्व कार्यकारी निर्देशक संजय गुलाटी, सीआईएफ के कमांडेंट एसडी आर्य, समाजसेवी सुधीर कुमार गुप्ता, गुरुद्वारा गुरु अमर दास कनखल की संचालिका श्रीमती विंनिन्दर कौर सोढ़ी, ग्रीन मैन विजयपाल बघेल, प्रमोद चंद्र शर्मा, मीडिया प्रभारी डॉ,. राधिका नागरथ, निवेदिता आदि उपस्थित थे।


