अश्वगन्धा, अमृततुल्य उपयोग

आयुर्वेद में अश्वगन्धा का उपयोग वीर्यवद्धर्क, मांसवर्द्धक, स्तन्यवर्द्धक, गर्भधारण में सहायक, वातरोग नाशक, शूल नाशक तथा यौनशक्ति वर्द्धक माना है।

शिशुओं के लिए:-
रोगमुक्त होने के बाद शिशु के शरीर को सबल, पुष्ट और सुडौल बनाने के लिए असगन्ध का प्रयोग उत्तम है। असगन्ध का चूर्ण 1-2 ग्राम मात्रा में लेकर एक कप दूध में डालकर उबालें, फिर इसमें 8-10 बूंद घी डालकर उतार लें। ठण्डा करके शिशु को पिलाएं। 6-7 वर्ष से 10-12 वर्ष के बालकों के लिए मात्रा दोगुनी करके यह प्रयोग 3-4 माह तक कराएं। यह बना बनाया भी बाजार में मिलता है।

स्तनों में दूध वृद्धि:-
असगन्ध, शतावर, विदारीकन्द और मुलहठी, सबका महीन पिसा हुआ चूर्ण समान मात्रा में लेकर मिला लें। एक चम्मच चूर्ण सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करते रहने से कुछ दिनों में, स्तनों में दूध की मात्रा बढ़ जाती है।

शुक्र में वृद्धि व पुष्टि:-
युवा एवं प्रौढ़, अविवाहित एवं विवाहित पुरुषों को वीर्य वृद्धि, वीर्य पुष्टि, शरीर पुष्टि, शक्ति और चुस्ती-फुर्ती के लिए कम से कम 3 माह तक यह नुस्खा लेना चाहिए। एक चम्मच असगन्ध चूर्ण महीन पिसा हुआ, आधा चम्मच शुद्ध घृत और घृत से तिगुना शहद, तीनों को मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोने से पहले चाटकर मीठा दूध पीना चाहिए। यह प्रयोग पूरे शीतकाल के दिनों में तो अवश्य ही करना चाहिए। दुबले-पतले, पिचके गाल, धंसी हुई आंखों वाले युवक-युवतियों के लिए यह नुस्खा एक वरदान है।

अविकसित स्तनों वाली युवतियों’ को यह नुस्खा 3-4 माह तक सेवन करना चाहिए। उनके स्तन सुविकसित और सुडौल हो जाएंगे।

Dr.(Vaid) Deepak Kumar
Adarsh Ayurvedic Pharmacy
Kankhal Hardwar aapdeepak.hdr@gmail.com
9897902760

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