आनन्द गिरि का निष्कासन परिवार से संबंध रखना तो बहाना मात्र, कारण कुछ भी

हरिद्वार। स्वामी आनन्द गिरि को श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी से निष्कासित किए जाने के बाद तमाम तरह की चर्चाऐं शुरू हो गयी हैं। बता दें कि स्वामी आनंद गिरि आस्ट्रेलिया में एक महिला के साथ मारपीट और अभद्रता के मामले में घिरने के बाद देश दुनिया में चर्चा में आ गए थे। जिसके बाद से ही आनन्द गिरि को लेकर तमाम तरह की चर्चाएं शुरू हो गयी थीं। अखाड़े ने परिवार के साथ संबंध रखने के आरोप में उनका निष्कासन किया है। किन्तु मामला इतना भर नहीं है। इसके अलावा भी कई कारण हैं जिनको लेकर कार्यवाही किया जाना अखाड़े के लिए लाजमी हो गया था।
स्वामी आनन्द गिरि श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि के शिष्य हैं। जिनका अखाड़े में अपना प्रभाव है। ऐसे में आनन्द गिरि पर कार्यवाही होना कोई बड़ा ही कारण होना दर्शाता है। बताते हैं कि
आनंद गिरि ने अपने परिवार से मेलजोल बढ़ा लिया था और बगावत करने लगे थे। राजस्थान के भीलवाड़ा से उनके परिवार के लोग, खासतौर से भाई-भाभी आने लगे थे। नासिक, उज्जैन और प्रयागराज में भी हुए कुंभ आयोजन में परिवार के लोग आए थे। उन्हें आनंद गिरि ने पूरी सुविधा देते हुए घर की तरह ठहराया था। हरिद्वार कुंभ में भी परिवार को बुलाया और आवभगत की। सूत्र बताते हैं कि इतना ही नहीं करीब छह माह पूर्व दिल्ली के एक सार्वजनिक आश्रम जिसमें भारती नामा नृसिंह मढ़ी के एक संत रहते हैं, पर आनन्द गिरि ने जबरन कब्जा कर लिया था। जिसको बाद में उन्हें दवाब में आकर छोड़ना पड़ा। इतना ही नहीं आस्ट्रेलिया के अतिरिक्त देश में भी कई मुकद्में उन पर हैं। इसके अलावा अखाड़े के सूत्रों के मुताबिक श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि ने आनन्द गिरि को बाघम्बरी गद्दी का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था। जिसका अखाड़े में विरोध था। वहीं अपने बचाव के लिए आनन्द गिरि को बली का बकरा बनाया गया। कारण की अखाड़े के एक बड़े संत भी परिवार से गरीब थे। कुछ वर्ष पूर्व में करोड़पति हो गए। जिस परिवार में कुछ नहीं था वे आज आलीशान महल में रहने रहे। इन सब बातों को लेकर अपना बचाव करते हुए आनन्द गिरि पर यह कार्यवाही की गयी। वहीं चर्चा है कि जिस मुलतानी मढ़ी का आनन्द गिरि को साधु बताया गया है। वह पुरी नामा साधुओं की मढ़ी है। ऐसे में आनन्द गिरि का गिरि नामा होना भी फर्जी है। निरंजनी अखाड़े में गिरि नामा की 13 व 14 मढ़ी हैं। जबकि मुलतानी मढ़ी पुरी नामा ही है। अखाड़े के सूत्रों का कहना है कि निष्कासन केवल दिखावा है, कुछ समय बाद आनन्द गिरि का निष्कासन रद्द हो जाएगा। यदि आनन्द गिरि ने अपनी जुबान को लगाम में रखा तो।

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