हरिद्वार। श्री पंचायती अखाड़े से श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि के शिष्य स्वामी आनन्द गिरि के निष्कासन के बाद उपजा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। सूत्र इस प्रकरण को बड़ा षडयंत्र मान रहे हैं। उनका कहना है कि स्वामी नरेन्द्र गिरि के राजदार को स्वंय उनके कहने पर निष्कासित करना बड़े षडयंत्र का हिस्सा हो सकता है।
सूत्र बताते हैं कि निष्कासन के पीछे सम्पत्ति बड़ा कारण है। सूत्रों का कहना है कि आनन्द गिरि के अखाड़े की सम्पत्ति का खुर्दबुर्द होने से बचाने के लिए विरोध करना ही उनके निष्कासन का मुख्य कारण है। बताते हैं कि आनन्द गिरि ने बाघम्बरी गद्दी की जमीन के एक बड़े हिस्से का बेचे जाने का विरोध किया था। जिसके बाद गुरु-चेले के बीच विवाद की शुरूआत हुई। जमीन की कीमत दो वर्ष पूर्व करीब 80 करोड़ बतायी गयी। जिसके संबंध में आनन्द गिरि ने अखाड़े में भी कुछ पदाधिकारियों को बताया। जहां उन्हें सभी ठीक हो जाने का आश्वासन दिया गया। इसके बाद विवाद बढ़ा और इसी विवाद के कारण जमीन का हिस्सा आनन्द गिरि के नाम कर दिया गया। इसके बाद आन्नद गिरि ने बनारस मे आचार्य पद पर स्वामी प्रज्ञानानंद के पट्टाभिषेक समारोह में उनके भक्तों द्वारा एकत्रित कर दिए गए करीब 5 करोड़ रुपये नए आचार्य को बनाए जाने के बाद वापस करने की बात कही। इतना ही नहीें देश के एक बड़े संत के शिष्य से उधार लिए डेढ़ करोड़ रुपये भी वापस करने का आनन्द गिरि ने दवाब बनाया, किन्तु रकम वापस नहीं की गयी। सूत्र बताते है। कि आनन्द गिरि का कहना था कि जब आचार्य को बिना कारण हटा दिया गया है तो उनके भक्तों द्वारा दिया गया पैसा लौटाना चाहिए। इसी बात को लेकर विवाद बढ़ता चला गया। वहीं आनन्द गिरि के नाम की गयी जमीन का पुनः अपने नाम कराने का दवाब बनाया गया। जिसे आनन्द गिरि ने अस्वीकार करते हुए कहाकि वे अखाड़े की सम्पत्ति का खुर्द-बुर्द नहीं होने देंगे। जिसकी परिणति यह निकली की आनन्द गिरि को निष्कासित कर दिया गया। सूत्र बताते हैं कि आनन्द गिरि का निष्कासन केवल बहाना है। कुछ समय बाद आनन्द गिरि की सकुशल वापसी हो जाएगी।

निरंजनी अखाड़े में अखाड़ेबाजी शुरू, 80 करोड़ की जमीन बनी आनन्द गिरि के निष्कासन की वजह


