बैरागी अखाड़ों को दूर रखने की सोची समझी साजिश
हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि की मौत के बाद रिक्त हुए पद पर नए अध्यक्ष की ताजपोशी के लिए कोशिशें तेज हो गयीं हैं। इसके लिए 25 अक्टूबर को अखाड़ा परिषद की बैठक बुलायी गयी है। जहां नए अध्यक्ष के नाम का ऐलान होने की संभावना है।
सूत्र बताते हैं कि बैठक से पूर्व ही नए अध्यक्ष का चुनाव कर लिया गया है। कोई विरोध न करे इसके लिए रणनीति पर जोरों-शोरों से काम चल रहा है। बैठक में तीनों बैरागी अखाड़ों को निमंत्रण नहीं है। कारण की कुंभ के दौरान बैरागी अखाड़ों ने परिषद के पदाधिकारियों की कार्यशैली के चलते स्वंय को अलग कर लिया था। हालांकि बैरागी अखाड़े आपसी सौहार्द को कायम रखने के लिए पुनः अखाड़ा परिषद के आने के लिए तैयार हैं। किन्तु वर्तमान में परिषद के कुछ लोग बैरागी अखाड़ों को शामिल करने के पक्ष में नहीं हैं। सूत्र बताते हैं कि बैरागी अखाड़ों को जानकर शामिल न करने की रणनीति तैयार की गयी है। जबकि कुछ आपसी सौहार्द बनाने के लिए बैठक में तीनों बैरागी अखाड़ों को साथ लेकर चलने के पक्ष में हैं।
सूत्र बताते हैं कि बैरागी अखाड़ों को दूर रखने के पीछे पद पर कब्जा बनाए रखने व अपने किसी खास को पद विशेष पर काबिज करवाना है। यदि तीनों बैरागी अखाड़े बैठक में शामिल होते हैं तो जाहिर है कि अध्यक्ष व महामंत्री में से एक पद बैरागियों को देना होगा। जबकि व्यक्ति विशेष कोई भी पद छोड़ना नहीं चाहता और दूसरे पद पर अपने खास को बैठाने के लिए उसे वचन दिया जा चुका है। इसके साथ ही चुनाव की स्थिति में कौन किसे वोट करेगा इसको लेकर भी आपस में वार्ता की जा चुकी है। सूत्र बताते हैं कि निरंजनी अखाड़े से ही किसी को अध्यक्ष बनाने की रणनीति पर काम किया जा रहा है। और कौन अध्यक्ष बनेगा यह भी तय किया जा चुका है। यह सब खेल केवल पद पर बने रहने के लिए कुछ लोग खेल रहे हैं। यही कारण है कि बैरागियों को दूर रखा जा रहा है। बैरागियों को दूर रखने की रणनीति काफी समय पूर्व से बन चुकी थी। जिसकी झलक प्रयागराज में नरेन्द्र गिरि की श्रद्धांजलि सभा में देखने को मिली। जहां परिषद के एक पदाधिकारी ने मंच से कहा कि श्रद्धांजलि सभा में सभी अखाड़ों के संत आए, किन्तु बैरागी अखाड़ों से मतभेद होने के कारण उनमें से कोई भी नहीं आया। इसका स्पष्ट मतलब था कि किसी भी प्रकार से बैरागियों को दूर रखा जा सके और अध्यक्ष पद पर अपने खास को बैठाया जा सके और अपना पद सुरक्षित हो जाए।