अखिल भारतीय श्री धर्म रक्षा सेना के राष्ट्रीय संयोजक जानकीशरण अग्रवाल ने ज्योतिष व द्वारिका पीठ पर स्वामी सदानंद सरस्वती व स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के अभिषेक किए जाने को आदि जगद्गुरु की परम्परा के विरूद्ध किया कार्य बताया है। उन्होंने श्रृंगेरी के शंकराचार्य जी पर आदि गुरु शंकराचार्य जी की बनाई परम्परा के विरुद्ध कार्य करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहाकि सर्वपित्र अमावस्या पर दक्षिणायन में शंकराचार्य का कथित अभिषेक होना, धर्म व राष्ट्र के लिए कितना उपयुक्त है? जिस सनातन धर्म में बिना कोई मुहूर्त के अन्न की बिजाई तक नहीं होती ऐसे सनातन धर्म में ऐसा आडंबर क्यों किया गया! उनकी क्या मजबूरी है। क्या किसी दबाव में है या सूटकेस पद्धति के कारण ऐसा किया गया।
उन्होंने कहाकि तथाकथित शंकराचार्यों ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि दक्षिणाम्नाय श्रृंगेरीपीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य महाराज ने दोनों नये शंकराचार्यों का अभिषेक कर दिया है। क्या 4 मिनिट में जल छिड़कने से अभिषेक हो जाता।
श्री अग्रवाल ने कहाकि तथाकथित शंकराचार्यों का कहना है कि जगद्गुरु विधुशेखर भारती ज्योतिर्मठ और द्वारकापीठ पर जाकर दोनांे का अभिषेक करेंगे। कहाकि आदि गुरु शंकराचार्य जी की बनाई परम्परा को और कितना तोड़ा जायेगा। स्वयं गलत कार्य को रोकने की बजाय अपने प्रतिनिधि को भेज रहे हैं।
तथाकथित शंकराचार्यों का कहना है कि ब्रह्मलीन जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी ने 2007 में आयोजित चतुष्पीठ सम्मेलन में ही अपने दोनों उत्तराधिकारी को शंकराचार्य जी श्रृंगेरी पीठ के समक्ष प्रस्तुत कर दिया था। कहाकि क्या उन्हें स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के बयान से अवगत नहीं कराया गया। स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी ने वर्ष 2007, वर्ष 8 जुलाई 2012 में एक टीवी चैनल में व वर्ष 22 नवम्बर 2020 में एक पत्र जारी कर उन्होंने स्पष्ट कहा कि न मैं वसीयत लिखूंगा और न ही ज्योतिष द्वारका शारदा पीठ पर मैंने अभी तक उत्तराधिकारी शंकराचार्य नियुक्त किया है। स्वामी स्वरूपानंद ने भी कभी नहीं कहा कि अपने उत्तराधिकारी शंकराचार्य नियुक्त का दायित्व श्रृंगेरी शंकराचार्य जी को सौंप दिया है।
उन्होंने कहाकि जब ब्रह्मलीन शंकराचार्य जी महाराज ने यह बता दिया था कि मेरे ब्रह्मलीन हो जाने के पश्चात् श्रृगेरी शंकराचार्य इन दोनों के लिए अभिषिक्त हो जाने के बाद के सभी आवश्यक धार्मिक कृत्य सम्पन्न करायेंगे। यदि अपनी इच्छा स्वामी स्वरूपानंद जी ने श्रृंगेरी पीठ के शंकराचार्य जी से कही थी तो दोनों शंकराचार्यों ने उसी समय उसे सार्वजनिक क्यों नहीं किया। उन्होंने कहाकि इस पूरे घटनाक्रम पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।


