पार्टी पदाधिकारियों के विरोध को क्यों किया गया दरकिनार
किस नेता को टिकट दिलाने के लिए नेत्री ने पेश किया था अपना जिस्म
कौन थे इस वैहशी महिला को बचाने का प्रयास करने वाले
हरिद्वार। समाज के लिए बदनुमा दाग व मां की ममता को कलंकित करने वाली संस्कारी पार्टी की नेत्री की गिरफ्तारी के बाद जहां पार्टी के एक खेमे में बड़ी हलचल है तो वहीं दूसरी ओर कई सवाल भी इस घटना के बाद खड़े हो रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि बीते रोज भाजपा की पूर्व महिला जिलाध्यक्ष को अपनी ही बेटी का अपने पुरूष मित्र से यौन शोषण कराने के आरोप में नेत्री और उसके मित्र को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
इस घटना के बाद बड़ा सवाल यह कि आखिर एक अनजान महिला कैसे एकाएक पार्टी के बड़े पद पर आसीन हो गई। आखिर क्यों उसे मनोनयन के कुछ ही समय बाद पार्टी ने पद से हटा दिया। आखिर वह कौन पार्टी नेता थे जो इस बदनुमादाग को बचाने के लिए दिन भर कोशिश मेें लगे रहे। बहरहाल कुछ नेताओं की हवाईयां उड़ी हुई हैं। महिला नेत्री का फोन भी पुलिस के पास है। फोन में नेत्री और उसके चाहने वाले नेताओं के राज दफन हैं, जब तक फोन का कुछ समाधान नहीं होता तब तक उनकी बैचेनी ऐसे ही बढ़ी रहने की उम्मीद है।
बहरहाल सबसे बड़ा सवाल यह कि एक अनजान महिला, जिसका पार्टी में कोई खास योगदान नहीं रहा, आखिर उसे कैसे जिलाध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद पर बैठा दिया गया। पार्टी सूत्रों के मुताबिक महिला नेत्री के नाम की घोषणा से एक माह पूर्व ही इस संस्कारी पार्टी के बदनुमा दाग की घोषणा हो चुकी थी। जिसको लेकर पार्टी के अंदर संग्राम भी हुआ था और इस संस्कारी पार्टी के एक पार्टी पदाधिकारी को इस महिला नेत्री ने खुलेआम चैलेंज किया था की यदि तेरे अंदर हिम्मत है तो तू मेरी नियुक्ति को रूकवा कर देख ले। आखिर पार्टी पदाधिकारी इस संस्कारी पार्टी की इस नेत्री का मनोनयन रोक तो नहीं सके, किन्तु उन्होंने इसे पद से हटाने की घोषणा अवश्य की थी।
इस महिला नेत्री की हिम्मत के पीछे संगठन के एक बड़े नेता का हाथ बताया जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि इन्ही संगठन के पदाधिकारी ने इस महिला नेत्री के नाम पर मोहर लगाते हुए इसे घोषणा से पूर्व ही जिलाध्यक्ष घोषित कर दिया था। जबकि इस महिला को लेकर पार्टी के अंदर खासा विरोध था।
पार्टी नेताओं की माने तो महिला की गतिविधियां सही न होने के कारण उसे पार्टी ने पद से हटाया था। इसका सीधा सा मतलब है कि संस्कारित पार्टी के नेताओं को इस महिला नेत्री के कारनामों की पहले से ही जानकारी थी।
सूत्र तो यहां तक बताते हैं कि महिला ने अपनी पार्टी के कई नेताओं को काफी खुश किया। कुछ तो ऐसे थे, जिनके यहां इसका रोज ही आना-जाना थां। अक्सर दिन के उजाले और रात के अंधेरे में महिला नेत्री नेता जी के प्रतिष्ठान में ही दिखायी देती थी। वहीं अक्सर महिला नेत्री के चहेते नेताओं का जमावड़ा लगता था।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक विगत चुनाव में हरिद्वार के एक नेता को पार्टी की इस अनमोल रत्न नेत्री ने टिकट दिलाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया। पार्टी सूत्रों के मुताबिक चुनाव के बाद भाजपा कार्यालय पर इस नेत्री से खुले आम उस नेता को यह कहाकि तुझे टिकट दिलाने के लिए मैंने अपना शरीर किस-किस के आगे पेश नहीं किया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि नेत्री और नेत्री से नजदीकी बनाए रखने वाले पार्टी के अन्य नेता कितने संस्कारी हैं। महिला नेत्री के द्वारा इतना बड़ा बयान देने के बाद भी पार्टी के किसी भी नेता और जिस नेता को उसने यह बात कही थी, हिम्मत नहीं हुई की महिला नेत्री को कुछ कह सके।
पार्टी सूत्र बताते हैं कि अपनी बच्ची का यौन शोषण कराने वाली इस कलयुगी महिला नेत्री पर कुछ नेताओं की विशेष कृपा थी। क्यों कुछ नेता नेत्री को खुश रखने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार रहते थे। यही कारण था कि एक साधारण सी कार्यकर्ता एकाएक महिला जिलाध्यक्ष बन गई। यूं ही नहीं महिला के पकड़े जाने पर नेताओं की लम्बी फेहरिस्त उसे बचाने के लिए प्रयास में जुटी रही, किन्तु एसएसपी ने नेताओं के अरमानों पर पहले से ही पानी फेरने का पक्का इंतजाम किया हुआ था, जिस कारण से अपनी खुशी को जेल जाने से कुछ नेता रोक नहीं पाए।
सूत्र बताते हैं कि अभी तो महिला नेत्री के मोबाइल से बहुत से राज खुलने की उम्मीद है। यदि जांच सही प्रकार से की जाती है तो कई सफेदपोशों के चेहरे से नकाब उतरने की उम्मीद की जा सकती है।
वैसे इसकी उम्मीद करना बेमानी होगा। कारण की वंनतारा में गए वीवीआईपी के नाम का आज तक खुलासा नहीं हो पाया। वहीं कनखल क्षेत्र में विगत वर्ष एक समाज विशेष की महिलाओं के पकड़े जाने पर भी मामले को थाना स्तर पर निपटा दिया गया था। वहीं उस वीवीआईपी नेता का नाम भी उसी तरह से छिपा लिया जाएगा, जिसने अपनी विशेष कृपा कर इस महिला को महिला जिलाध्यक्ष बनाया था।