हरिद्वार। बाबा केदारनाथ धाम में घोड़े और खच्चरों के साथ हो रहे लगातार अत्याचारांे के विरुद्ध व वहां के स्थानीय मजदूरों व पशुपालकों के स्वास्थ्य मानवता व जीवन पर बुरा असर देखते हुए हरिद्वार के अरुण भदौरिया एडवोकेट, कमल भदोरिया एडवोकेट व चेतन भदौरिया ने एक याचिका राज्य मानवाधिकार आयोग उत्तराखंड में जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग, सचिव पर्यटन और उत्तराखंड शासन के विरुद्ध प्रस्तुत की है। याचिका में कहाकि केदारनाथ धाम में जुलाई 2023 में एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें दो पुरुष एक मयूल को एक नाक के छेद से गांजे का धुआं चढ़ा रहे थे, जिससे जानवर को नशीली स्थिति में रखा जा सके। इसका एक कारण और भी है कि वह दर्द या पेट दर्द को सहन कर सके, यह एक प्रीवेंटशन आफ क्रुएलिटी टू एनिमल्स एक्ट 1960 के तहत जानवरों के साथ क्रूरता है, इसके साथ-साथ वहां पर कार्य करने वाले पशुपालकों और मजदूरों के मानवाधिकारों का भी खुला उल्लंघन है।
याचिका में कहाकि केदारनाथ धाम में गौरीकुंड से लेकर केदारनाथ तक कोई भी उपयुक्त विश्राम गृह या गर्म पानी की व्यवस्था जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग, सचिव पर्यटन व शासन उत्तराखंड सरकार द्वारा नहीं की गई है और मयूल को एक-एक दिन में दो दो तीन चक्कर लगवाए जाते हैं जबकि एसओपी स्टैण्डर्ड ऑपरेशन प्रोड्यूसर में सिर्फ एक ही चक्कर लगाए जाने का प्रावधान है। इन्हीं कारणों से और विपक्षीगण जिला अधिकारी रुद्रप्रयाग, सचिव पर्यटन और शासन उत्तराखंड सरकार की लापरवाही से वर्ष 2022 में मयूल और घोड़े की 60 की मौत हुई।
2023 में 214 की मौत हुई और अप्रैल में 2025 तक दर्जनों की मौत हो चुकी हैं। कभी-कभी तो इन मृत पशुओं का निपटान मार्ग पर ही और नदी पर ही कर दिया जाता है, जिस कारण नदी प्रदूषित होती है। केदारनाथ धाम में घोड़े और खच्चरों को चलाने वाले हैंडलर अत्यधिक वजन ढोने को मजबूर करते हैं, जिस कारण घोड़े और खच्चर गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं। जबरदस्ती काम लिया जाता है, आराम नहीं करने दिया जाता और उपयुक्त भोजन नहीं दिया जाता, जिस कारण इन पशुओं की मृत्यु हो जाती है। याचिका में यह भी आदेश की मांग की गई है की शासन के अधिकारी घोड़े और खच्चरों के व वहां पर कार्यरत श्रमिकों की बुरी स्थिति में कार्य करने को मजबूर करते रहने के कारण उचित रूप से कठोर कार्रवाई न करने के कारण आम मानव के अधिकारों का उल्लंघन होने के शासन के अधिकारी उचित व कानूनी कार्रवाई किया जाना सुनिश्चित करें इस संबंध में याचिका दायर की गई है।