हरिद्वार। धर्म के स्थान पर बैठकर झूठ बोलने और फर्जीवाड़े का काम कथित ट्रस्टियों के द्वारा किया जा रहा है। सत्य के मार्ग का अनुसरण करने का उपदेश देने वाले आकंठ मिथ्या आचरण में डूबे हुए हैं। यहां बात हम मां मंशा देवी मंिदर कथित ट्रस्ट की कर रहे हैं। जहां के संचालकों के लिए उच्च न्यायालय और जिला प्रशासन के आदेश भी कांेई मायने नहीं रखते। जिला प्रशासन को ठेंगा दिखाने वाले मंदिर चढ़ावे के नाम पर प्रतिवर्ष आने वाले करोड़ों के चढ़ावे पर ऐश कर रहे हैं। जानने के बाद भी प्रशासन कोई कार्यवाही नहीं कर पा रहा है।
सूचना के अधिकार के अंतर्गत प्राप्त सूचना के अनुसार वर्ष 2017 तक ही मां मनसा देवी मंदिर संबंधी बैठक का आयोजन हुआ। बैठकों में लिए गए निर्णयों पर आज तक भी पालन नहीं किया गया और न ही प्रशासन ने आदेशों का पालन कराने में अपनी दिलचस्पी दिखाई, जिसके चलते मंशा देवी मंदिर मंें आने वाले धन की बंदरबांट का सिलसिला जारी है। इतना ही नहीं उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा पारित आदेशों की भी खुलेआम धाजिय्यां उड़ायी जा रही है। जिसके चलते न्यायालय के आदेशानुसार आज तक भी जिलाधिकारी व एसएसपी को ट्रस्ट में शामिल नहीं किया गया। साथ ही मंदिर में आने वाले चढ़ावे का कोई जमा-खर्च का हिसाब भी नहीं है। जबकि न्यायालय के आदेश के मुताबिक बिना डीएम व एसएसपी की अनुमति के एक रुपया भी खर्च नहीं किया जा सकता।
सूचना के अनुसार वर्ष 2016 में डीएम की अध्यक्षता में हुई बैठक में डीएम ने उच्च न्यायालय नैनीताल के आदेशों को पालन कराने के क्रम में संशोधित ट्रस्ट बनाने के निर्देश दिए थे। इसके पश्चात मई 2017 में डीएम की अध्यक्षता में बैठक का आयोजन हुआ। जिसमें रामानंद पुरी, तरूण गांगुली व लीलाधर तिवारी शामिल हुए। इसके बाद एक और बैठक हुई जिसमें डीएम ने उच्च न्यायालय के आदेशानुसार मंदिर में नारियल के ठेके, भुगतान की अनुमति लिए जाने के निर्देश के साथ यात्री सुविधा, पानी का टैंक बनाने आदि कार्याेें को ससमय पूरा करने के निर्देश दिए थे। पूछे जाने पर मंा मंशा देवी मंदिर ट्रस्ट के संबंध में मंदिर का संचालन करने वाले कथित ट्रस्टियों ने जवाब दिया था की इसकी कोई रजिस्टर्ड डीड नहीं है। जबकि रामानंद पुरी ने ट्रस्ट में चार ट्रस्टी होने की बात कही थी। जिस पर जिलाधिकारी ने उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार डीएम व एसएसपी को ट्रस्ट में शामिल कर नई ट्रस्ट डीड तैयार करने के निर्देश दिए थे, जिसको पूरा नहीं किया गया और जिला प्रशासन के आदेशों को धत्ता बताकर अपनी मनमर्जी जारी रखी और मंशा देवी मंदिर में आने वाले धन का लगातार दुरूपयोग किया जाता रहा। डीएम ने आदेश के बाद भी बिना डीएम व एसएसपी की अनुमति लिए चढ़ावे को खर्च किया जा रहा है। जो कि न्यायालय के साथ जिला प्रशासन के आदेशों की अवहेलना है।