धर्म संसद को प्रशासन की ना, संत हुए मुखर

हरिद्वार। जूना अखाड़े में आज से शुरू होने वाली संतों की धर्म संसद को प्रशासन ने अनुमति नहीं दी है। जबकि संत धर्मसंसद को लेकर मुखर हैं। जिससे टकराव की आशंका भी बनी हुई है। संतों ने इसकी अनुमति को लेकर रक्त से लिखे पत्र भी मुख्यमंत्री को भेजे हैं। तीन साल पहले हरिद्वार में हुई ऐसी ही धर्म संसद में हेट स्पीच का मामला दिल्ली तक गूंजा था, जिसके बाद प्रशासन धर्म संसद को लेकर पूरी तरह सतर्क है।


प्रशासन के साथ हुई संतों की बैठक के बाद प्रशासन ने साफ-साफ कह दिया है कि धर्म संसद के आयोजन की अनुमति नहीं दी जा सकती। जबकि संतों का कहना है कि वह आयोजन सार्वजनिक स्थल पर नहीं बल्कि जूना अखाड़े में कर रहे हैं इसलिए उन्हें इसकी अनुमति मिलनी चाहिए।


संतों की ओर से कहा गया है कि वह कोई राजनीतिक या विद्वेष कार्यक्रम नहीं कर रहे, बल्कि बंग्लादेश में हो रहे हिंदुओं पर अत्याचार के खिलाफ रोष को लेकर कार्यक्रम कर रहे हैं। इसलिए उन्हें जूना अखाड़े में विश्व धर्म संसद आयोजित करने की अनुमति मिलनी ही चाहिए।

प्रशासन की सख्ती के बाद फिलहाल संतों की कोई टिप्पणी नहीं आई है, लेकिन जूना अखाड़ा में टैंट लगा है जहां बगुलामुखी यज्ञ जारी है। इसी स्थल को धर्मसंसद के लिए निश्चित किया गया है। फिलहाल प्रशासन संतों के आयोजन पर नजर रखे हैं। पुलिस और अभिसूचना तंत्र ने भी संतों के आयोजन पर नजर गड़ा रखी है। हरिद्वार कोतवाली प्रभारी कुंदन सिंह राणा ने बताया कि प्रशासन की ओर से धर्म संसद की अनुमति नहीं दी गई है। उसका पूरी तरह से पालन कराया जाएगा।

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