कुंभ के बाद तय होगा किन्नर अखाड़े का आचार्य महामण्डलेश्वर

प्रयागराज। किन्नर अखाड़े में आचार्य महामण्डलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी व महामण्डलंेश्वर ममला कुलकर्णी के निष्कासन के बाद उपजे विवाद का पटाक्षेप करने के लिए अखाड़े के संस्थापक रहे ऋषि अजय दास ने नियमों में बदलाव का निर्णय लिया है। उनके अनुसार अब अखाड़े में किन्नरों के अलावा किसी दूसरे को जगह नहीं दी जाएगी। महाकुंभ के बाद किन्नर अखाड़े के नए आचार्य महामंडलेश्वर का चुनाव किया जाएगा। लोकतांत्रिक तरीके से बहुमत के आधार पर किन्नर अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर का पट्टाभिषेक होगा। ऋषि अजय दास ने बताया कि अखाड़े में धर्म विरुद्ध आचरण लगातार हो रहा था। इसलिए कुछ कठोर कदम उठाने पड़ रहे हैं। अब किन्नर अखाड़े के नियमों में बड़े स्तर पर बदलाव किया जाएगा।


आचार्य महामंडलेश्वर, महामंडलेश्वर या जिम्मेदार पदों को सौंपने से पहले लिखित में अनुबंध कराया जाएगा। सभी को नियमों का पालन करना होगा। अगर वह सनातन के अनुसार नहीं चलेंगे तो तत्काल हटा दिया जाएगा। समाज की बैठक महाकुंभ के बाद नई दिल्ली में होगी। सभी को आमंत्रित किया जाएगा और बहुमत के आधार पर नए आचार्य महामंडलेश्वर की घोषणा की जाएगी।

ऋषि अजय दास ने कहा कि किन्नर अखाड़े का अवैधानिक अनुबंध जूना अखाड़े के साथ करके किन्नर अखाड़े के सभी प्रतीक चिह्नों को क्षत-विक्षत किया गया है। ये लोग न तो जूना अखाड़े के सिद्धांतों के अनुसार चल रहे हैं और न ही किन्नर अखाड़े के। किन्नर अखाड़े के गठन के साथ ही वैजयंती माला गले में धारण कराई गई थी, जो कि श्रृंगार का प्रतीक है, लेकिन किन्नर अखाड़े में उसे त्याग करके रुद्राक्ष की माला धारण कर ली।


अजय दास ने कहा कि 2015-16 उज्जैन कुंभ में लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को आचार्य महामंडलेश्वर नियुक्त किया गया था। उन्होंने ममता कुलकर्णी को बिना किसी धार्मिक व अखाड़े की परंपरा को मानते हुए वैराग्य के बजाय सीधे महामंडलेश्वर की उपाधि देकर पट्टाभिषेक कर दिया।

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