चिरायते का नाम अधिकांश लोगों ने सुन रखा होगा। बरसों से हमारी दादी-नानी कड़वे चिरायते से बीमारियों को दूर भगाती रही है।
असल में यह कड़वा चिरायता एक प्रकार की जड़ी-बूटी है, जो कुनैन की गोली से अधिक प्रभावी होती है।
एक प्रकार से यह एक देहाती घरेलू नुस्खा है। पहले इस चिरायते को घर में सुखाकर बनाया जाता था, आजकल यह बाजार में कुटकि चिरायते के नाम से भी मिलता है। लेकिन अधिक कारगर तो घर पर बना हुआ ताजा और विशुद्ध चिरायता ही अधिक कारगर होता है।
चिरायता का असरकारक चूर्ण बनाने की विधि
चिरायता पत्ते (सुखे ) 100 ग्राम
नीम के पत्ते (सुखे ) 100 ग्राम
तुलसी के पत्ते (सुखे ) 100 ग्राम
इन तीनों को समान मात्रा में मिलाकर एक बड़े डिब्बे में भरकर रख लीजिए।
यह तैयार चूर्ण मलेरिया या अन्य बुखार होने की स्थिति में दिन में 2 बार 1-1 चमच सेवन करें मात्र दो दिन में आश्चर्यजनक लाभ होगा।
’कारगर एंटीबॉयोटिक’
बुखार ना होने की स्थिति में भी यदि इसका एक चम्मच सेवन करें तो यह चूर्ण किसी भी प्रकार की बीमारी चाहे वह स्वाइन फ्लू ही क्यों ना हो, उससे शरीर से दूर रखता है। इसके सेवन से शरीर के सारे कीटाणु मर जाते हैं। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी सहायक है।
इसके सेवन से खून साफ होता है तथा धमनियों में रक्त प्रवाह सुचारू रूप से संचालित होता है।
लिवर डिटॉक्स के लिए भी चिरायता का चूर्ण बहुत लाभ करता है।
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Dr. (Vaid) Deepak Kumar
Adarsh Ayurvedic Pharmacy
Kankhal Hardwar
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