सात मई तक जवाब न आने पर खटखटाया जाएगा न्यायालय का दरवाजा
हरिद्वार। श्री शंभू दशनाम पंचायती अखाड़ा के श्रीमहंत गोपाल गिरि महाराज ने कहाकि आवाहन नागा संन्यासी अखाड़ा उत्तराखण्ड के सभी देवालयों पर अपने हक का दावा करेगा। यदि सीएम को भेजे पत्र का जवाब शीघ्र नहीं आता तो न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जाएगा।
श्रीमहंत गोपाल गिरि महाराज ने कहाकि सर्व प्रथम स्थापित अखाड़ा श्री शम्भू पंच दशनाम आवाहन नागा सन्यासी के द्वारां 08 मई को सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिहं धामी को पत्र देकर उत्तराखण्ड के देवालयों को अखाड़ों को दिए जाने की मांग की थी।
कहाकि अखण्ड़ भारत में जो आदि गुरू शंकराचार्य जी द्वारा सन् 800 ई. से सन 820 ई. तक जो मठ, मढ़ी, मन्दिरों का जीर्णोद्धार आवाहन अखाड़े के 550 नागाओं द्वारा किया था, जिसमें देवभूमि उत्तराखण्ड़ के विभिन्न देवालय मठ, मढ़ी, मन्दिर, आश्रम हैं। जिसकी सूची उत्तराखण्ड़ सरकार के पास हैं। उन्होंने कहाकि सरकार द्वारा गठित बोर्ड सूची में शामिल देवालयों को तुरन्त आवाहन नागा सन्यासियों को सौंपते हुए अपने सरकारी तन्त्र से मुक्त करे तथा मन्दिर कमेटी से अखाड़े के नागाओं को कब्जा दिलाया जाये। कहाकि अखाड़ा 07 जून तक सरकार से अपने पत्र के उत्तर की प्रतिक्षा करेगा। उसके बाद कोर्ट में रिट फाईल की जाएगी।
श्रीमहंत गोपाल गिरि महाराज ने कहाकि सरकार द्वारा मन्दिर कमेटी ने साधुओं नागाओं षड् दर्शन साधुओं पर जुर्म ढाया हुआ है और कमेटी के कर्मचारी मौज कर रहे हैं। साधुओं के सभी हक मारे जा रहे हैं। कहाकिं सन् 2013 की आपदा में केदारनाथ के ब्राह्मण शिव अर्पण हो गये, जिसमें 2000 साधु भी शिवलोक चले गये। लाखों की संख्या में जनता आपदा की भेट चढ़ गई, कारण मन्दिर कमेटी के भ्रष्टाचार हैं।
श्रीमहंत गोपाल गिरि महाराज ने कहाकि जब आपदा के कारण केदारनाथ के ब्राह्मण नहीं रहे तो नये कहां से आ गए। कमेटी तो बनती बिगड़ती रहती हैं। कहाकि मन्दिर के साथ धुनी थी जिस पर आवाहन अखाड़े के नागा बैठते थे। नंदी पर भी आवाहन अखाड़े के नागा बैठते थे। मन्दिर के अमृत कुण्ड़ चरणामृत पर व आदि गुरू शंकराचार्य जी की समाधि स्थल पर नागा बैठते थे। हर-हर महादेव कुण्ड़, भैरों जी सभी नागाओं के हाथ मंे रहता था, जो की सन् 2013 के बाद से मन्दिर कमेटी के भ्रष्ट कर्मचारियों ने साधुओं के हक व अधिकार पर कब्जा कर लिया। कहाकि यह सब बर्दाश्त करने योग्य नहीं है। मन्दिर द्वारा ना तो साधुओं के लिये भोजन व निवास की व्यवस्था की जाती है ना भेंट पूजा दी जाती हैं। ऐसे ही सभी मन्दिरों में हो रहा है।
कहाकि उत्तरकाशी स्थित काशी विश्वनाथ मन्दिर पर भी सरकार कब्जा कर रही है। जबकि यह मन्दिर नागाओं का है और सरकार द्वारा गठित श्राईन बोड़ को सीएम पुष्कर सिहं धामी ने समाप्त कर दिया है। उत्तरकाशी काशी विश्वनाथ मन्दिर में जहां नागाओं की धूनी व माईबाड़ा था उस पर भी कब्जा कर लिया है। कहा कि इस वर्ष 1220 वीं छड़ी यात्रा में दिये जाने वाली सुविधा जिसमें बसंे, मार्ग में पर्याप्त सुरक्षा, चिकित्सा, भोजन, प्रवास आदी की व्यवस्था के आदेश होने के बाद भी दो धाम तक सुरक्षा दी गई। प्रवास, भोजन, चिकित्सा सुविधा नहीं दी गई। इस कारण से अब सरकार के द्वारा सुनवायी न होने पर अब न्यायालय ही एकमात्र रास्ता बचा हुआ है। कहाकि पत्र को जबाव निर्धारित तिथि तक न आने पर न्यायालय में वाद दायर किया जाएगा।