सनातन धर्म की रक्षा को मूलभूत ढांचे में बदलाव जरूरी: नरसिंहानंद

धर्मानुशासन और एक सर्वमान्य पुस्तक के लक्ष्य को लेकर आरम्भ हुई संत जागृति यात्रा

हरिद्वार । सर्वानन्द घाट से जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि का संदेश लेकर संत जागृति यात्रा आरम्भ हुई। प्रथम चरण में यह यात्रा सम्पूर्ण हिंदीभाषी क्षेत्र में जाएगी और सभी धार्मिक मठ-मंदिरों और आश्रमों तक संत जागृति संदेश को लेकर जाएगी। दूसरे चरण में यह यात्रा दक्षिण भारत जाएगी जिसमें महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरिीभी भाग लेंगे। यह यात्रा अपने अंतिम चरण में हरिद्वार के संतों के दर्शन करेगी और उन्हें पूरे देश के संतों से हुए विचार विमर्श के बारे में जानकारी देगी।
संत जागृति यात्रा में मुख्य रूप से स्वामी अमृतानंद, बालयोगी ज्ञाननाथ, स्वामी कृष्णानंद गिरि, यति कृष्णानंद सरस्वती तथा अन्य संत हैं, जो महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि का पत्र देश के सभी संतों तक लेकर जाएंगे और उनसे सनातन धर्म और सनातन धर्म के मानने वालों की रक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का आग्रह करेंगे।


यह संत महामंडलेश्वर नरसिंहानंद गिरि का एक पत्र सभी संतो को देंगे और उनसे सनातन की रक्षा के लिये ठोस रणनीति बनाने का आग्रह करेंगे।


यात्रा को रवाना करते हुए महामंडलेश्वर नरसिंहानंद गिरि ने कहा कि यह छोटी सी साधारण यात्रा सनातन धर्म और विश्व इतिहास पर अपना अमिट प्रभाव छोड़ेगी, जो संदेश यह यात्रा आज मां गंगा के तट से लेकर जा रही है, उसके महत्व को नहीं समझा गया तो सनातन धर्म को बचाना असम्भव हो जाएगा।
उन्होंने सभी संतों से इस यात्रा को आशीर्वाद, सहयोग और समर्थन देने का आग्रह किया।

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