हरिद्वार। मां मंशा देवी फर्जी ट्रस्ट विवाद दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। साथ ही इसके कई खुलासे भी हो रहे हैं। जिसके चलते मंशा देवी मंदिर पर अपना दावा करने वाले पंचायती अखाड़ा निरंजनी की मुश्किलें बढ़ सकती है। या यूं कहें कि निरंजनी अखाड़े के हाथ से मंशा देवी मंदिर जा सकता है।
बता दें कि शनिवार को नगर मजिस्ट्रेट ने मंशा देवी विवाद से जुड़े दोनों पक्षों को बुलाया था। साथ ही वन विभाग के अधिकारी भी इस दौरान मौजूद रहे। जब नगर मजिस्ट्रेट ने मंशा देवी मंदिर को अपनी नीजि सम्पत्ति बताने वाले निरंजनी अखाड़े के पक्षकार से स्वामित्तव के दस्तावेज दिखाने के लिए कहा तो वे बगले झांकने लगे। जबकि दूसरे पक्ष ने मंशा देवी मंदिर निरंजनी अखाड़े का ना होने के दस्तावेज प्रस्तुत किए। बता दें कि साध्वी सरस्वती देवी की 1963 की वसीयत में केवल 13 लोगों को ट्रस्ट में शामिल किया गया था। उसके बाद 1972 में ट्रस्ट पंजीकृत किया गया। किन्तु किसी में भी निरंजनी अखाड़े के स्वामित्त की बात नहीं कही गयी। अब नगर मजिस्ट्रेट ने दोनों पक्षों को पुनः अगली सुनवाई पर दस्तावेजांे के साथ उपस्थित होने के निर्देश दिए हैं। ऐसे में जब निरंजनी अखाड़े का मंशा देवी पर स्वामित्तव ही नहीं हैं तो वहां का महंत अध्यक्ष कैसे हो सकता है। यदि मंदिर मंशा देवी की नीजि सम्पत्ति है तो न्यायालय के आदेश के बाद भी ट्रस्ट का लेखा-जोखा 11 वर्षों बाद भी क्यों प्रस्तुत नहीं किया गया। दस्तावेजों के आधार पर मंशा देवी मंदिर निरंजनी अखाड़े के हाथों से जाने की पूरी संभावना है।