दो रावतों ने निकाला अपनी-अपनी पाटियों को पसीना

खाली हाथ होने के बाद भी बोल रहे ऑल अल वैल
चुनाव आते ही नेताओं की तिकड़में व आकांक्षाएं उबाल मारने लगती हैं। हर कोई पार्टी पर दवाब बनाकर अपना उल्लू सीधा करने के प्रयास में रहता है। ऐसा ही कुछ बीते तीन दिनों से उत्तराखंड की राजनीति में भी देखने को मिल रहा है। जहां कांग्रेस के हरीश रावत ने एक ट्वीट कर पार्टी पर दवाब बनाने का कार्य किया वहीं उन्हीं के पद चिह्नों पर चलते हुए कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामने वाले हरक सिह रावत ने भी अपने तेवर दिखाकर पार्टी को असहज कर दिया।
इन दोनों नेताओं के हंगामें को देखकर हर कोई हैरान है। वैसे हरक सिंह रावत काफी समय से पार्टी पर दवाब की राजनीति पर काम कर रहे थे। अभी तक भाजपाई हरीश रावत के ट्वीट के सामने आने पर उस पर चुटकी लेते दिखायी दे रहे थे, किन्तु बीती रात हरक के तेवरों के बाद उनकी बोलती बंद हो गयी। अब कांग्रेस का भाजपा पर चुटकी ले रही है।
ट्वीट के बाद भले ही हरीश रावत पार्टी दिल्ली दरबार में हाजिरी लगाकर खुश नजर आ रहे हों, कह रहे हों ऑल इल वैल, किन्तु उनके हाथ भी केवल झुनझुना की लगा। बावजूद इसके यदि जानकारों की मानें तो जैसे-जैसे चुनाव की तिथि नजदीक आएगी हरीश रावत एक बार फिर से कुछ नया शिगुफा अवश्य छोड़ेंगे।
वहीं हरक सिंह रावत ने रात को अपनी नाराजगी जतायी और सुबह होते ही मुख्यमंत्री से मिलने के बाद उनके भी स्वर बदल गए। हरक की नाराजगी और इस्तीफे की खबर से घबराई सरकार ने आनन-फानन में कोटद्वार मेडिकल कॉलेज के लिए पांच करोड़ रुपए देने पर पुनर्विचार करने की बात कह दी। खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मीडिया के सामने आकर ये बात कही। वहीं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भी सब कुछ ठीक है का राग अलापते नजर आए। इन सबको देखते हुए यह कहा जा सकता है कि चुनावों के नजदीक आते ही नए-नए गुल और खिलने की संभावना है।

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