गुरुकुल कांगड़ी के शिक्षक प्रो. श्रवण कुमार अनुशासनहीनता में निलम्बित

हरिद्वार। गुरुकुल काङ्गड़ी समविश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रूप किशोर शास्त्री ने कहा कि विश्वविद्यालय हमेशा से शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणीय भूमिका का निर्वहन करता रहा है। प्रेस को जारी बयान में उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन का ध्येय हमेशा से विश्वविद्यालय परिसर में शैक्षणिक माहौल बनाये रखने की दिशा में सतत् प्रयास किये जाते रहे हैं, जिसके चलते विश्वविद्यालय द्वारा विभिन्न शैक्षणिक गतिविधियों को संचालित किया जा रहा है। कुछ व्यक्तियों द्वारा अपने निजी स्वार्थों को फलित करने के उद्देश्य से विश्वविद्यालय में विगत कुछ समय से शैक्षणिक व आपसी सद्भाव के वातावरण को प्रभावित करने की दिशा में प्रयास किये जा रहे हैं, जिसे किभी भी स्तर पर सफल नहीं होने दिया जायेगा। विश्वविद्यालय की छवि को भ्रमित प्रचार के माध्यम से धूमिल करने वालों को प्रशासन द्वारा बार-बार समझाने के प्रयास किये जाने के चलते इनके द्वारा अपने कार्यों पर रोक नहीं लगाये जाने के चलते व विश्वविद्यालय परिसर में अनुशासन व्यवस्था बनाये रखने हेतु प्रो. श्रवण कुमार शर्मा पर विश्वविद्यालय प्रशासन को निलम्बन की कार्यवाही करने का निर्णय लेना पड़ा है।
गुरुकुल कांगडी समविश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में कार्यरत डा. श्रवण कुमार शर्मा को सन्तोषजनक स्पष्टीकरण न देने पर अनुशासनहीनता एवं अन्य विभिन्न आरोपों में निलम्बित कर जांच बैठा दी गई है। विश्वविद्यालय में नैक कमेटी की प्रस्तावित विजिट 24-26 दिसम्बर को होनी थी, जिसकी युद्धस्तर पर तैयारियां विश्वविद्यालय में चल रही थी। आन्तरिक गुणवत्ता एवं आश्ववासन प्रकोष्ठ के निदेशक प्रो. आरसी दुवे ने एक बैठक नैक कमेटी के विजिट के परिप्रेक्ष्य में 18 अक्टूबर को आहूत की थी, जिस बैठक में श्रवण कुमार शर्मा का प्रो. सत्यदेव निगमालंकार तथा अन्य शिक्षकों से नौंकाझोकी तथा विवाद हो गया। कुलपति के बार-बार कहने पर डा. श्रवण कुमार शर्मा कुलपति से ही नौंकाझोक करने लगे और आपे से बाहर होकर कुलपति को उनके नाम से सम्बोधित करने लगे। विवाद इतना बढा कि श्रवण कुमार शर्मा प्रो. सत्यदेव निगमालंकार की ओर मारने झपटे और जान से मारने की धमकी दे डाली। बैठक की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. रूपकिशोर शास्री ने व्यवस्था देते हुए डा. श्रवण कुमार शर्मा को अविलम्ब बैठ जाने को कहा। इससे पूर्व भी वर्ष मई 1995 में भी डा. श्रवण कुमार शर्मा को सीनेट का घेराव करने और सदस्यों के साथ बदतमीजी अनुशासनहीनता, बदसलूकी कुलाधिपति और कुलपति के आदेशों की अवहेलना करने पर निलम्बित किया गया था। उस समय बिना शर्त माफीनामा देने पर अनेकों प्रतिबन्धों के साथ इनका निलम्बन समाप्त किया गया था। प्रो. श्रवण कुमार शर्मा अपनी हरकतों से बाज नहीं आए। इन्हीं सब हरकतों के चलते विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा अब पुनः प्रो. श्रवण कुमार शर्मा को निलम्बित कर दिया गया है। विश्वविद्यालय में स्वस्थ व्यवस्था को बनाये रखने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन कठोर से कठोर कदम उठाने में कोई कोताही नहीं बरतेगा।

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