आयुर्वेद के अनुसार जल पीने के 10 नियम

1:- प्यास लगे तभी पानी पिएँ दृ जबरदस्ती अधिक पानी न पिएँ।

2:- शांत मुद्रा में बैठकर पिएँ दृ खड़े होकर या चलते-फिरते पानी न पिएँ।

3:- धीरे-धीरे घूंट-घूंट करके पिएँ दृ तेजी से एक साथ न गटकें।

4:- गुनगुना या सामान्य तापमान का पानी पिएँ, बहुत ठंडा पानी हानिकारक है।

5:- भोजन के साथ सीमित मात्रा में पिएँ, अधिक पानी पाचन अग्नि को कमजोर करता है।

6:- भोजन के तुरंत बाद पानी न पिएँ, थोड़ी देर बाद ही लें।

7:- स्वच्छ व सुरक्षित बर्तन में संग्रह करें, तांबे, मिट्टी, काँच के बर्तन उत्तम हैं।

8:- मौसम के अनुसार पानी की मात्रा बदलें, गर्मियों में अधिक, सर्दियों में कम।

9:- सुबह-शाम हल्का गुनगुना पानी लाभकारी है, शरीर को शुद्ध करता है।

10:- तनाव, गुस्से या भावावेश में पानी न पिएँ दृ यह पाचन व मानसिक संतुलन को बिगाड़ता है।

Dr. (Vaidhya) Deepak Kumar
Adarsh Ayurvedic Pharmacy
Kankhal Hardwar
Contact: – 9897902760

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