गुरु-चेला कारगुजारियों के लिए शहर में रहे हैं मशहूर
हरिद्वार। यूं तो बीज बोने के कुछ समय बाद ही फल मिलना शुरू हो जाता है। कुछ में देर भी लगती है, किन्तु इतनी देर किसी बीज में नहीं लगती की उसका फल पाने में आधी जिंदगी गुजर जाए। ऐसा एक ही फल है और वह है पाप का फल। पाप कब फलीभूत हो जाए इसका किसी को कुछ पता नहीं रहता।
ऐसे ही एक भगवाधारी की कहानी है, जिन्होंने करीब 40 साल पूर्व से अपनी देह रूपी खेत में बीज की बुआई का काम शुरू किया था। खेती को न जाने कितनों ने बोया, किन्तु उसका फल अब जाकर मिलना शुरू हुआ। हालांकि भगवाधारी ने ब्रह्मचारी रहते हुए एक ब्रह्मचारी से खेती में सहयोग लिया। या यूं कहें कि बाबा ब्रह्मचारी की प्राईवेट प्रॉपर्टी था। इसी के चलते इसका फल भगवाधारी को तत्काल मिला और लाखों रुपये उसकी झोली में आ गए। फिर कुछ नेताओं ने भी बाबा के खेत में खेती की। हालांकि बाबा को तो बचपन से ही लत लग गयी थी, किन्तु अब काफी मात्रा में बाबा को फल की प्राप्ति हो रही है। कनखल नगरी के इस बाबा को ऐसा फल मिल रहा है कि अब न तो अपनी इच्छा से खा सकता है और न ही खेत जुतवा सकता है।
वहीं सूत्र बताते हैं कि बाबा ने अपने एक कथित चेले को उत्तराधिकारी बनाने की कुछ दिन पूर्व घोषणा कर दी थी, किन्तु बाबा के की चाल और चरित्र को देखते हुए चेले ने बाबा से किनारा कर लिया। यही कारण है की करोड़ों की प्रापर्टी वाले बाबा को छोड़कर चेल किसी और से क्यों संन्यास ले। ऐसा ही कुछ होने जा रहा है। हालांकि बाबा के चेले के ख्याब कुछ बड़े थे, किन्तु चेले के कर्म आगे आ गए। शहर में चर्चा आम है कि आखिर कथित गुरु की सम्पत्ति पर नजर गढ़ाए बैठे चेले को दूसरे से दीक्षा लेने के लिए उसकी शरण में क्यों जाना पड़ा।
बताते हैं कि बाबा को अब भंयकर वाली बवासीर की बीमारी हो गयी है, जिस कारण से उसका खाना पीना सब बंद है। इच्छा होते हुए भी बाबा अपनी पसंद का भोजन नहीं कर पाता। एक कहावत है कि चोर चोरी से जाए, किन्तु हेराफेरी से नहीं। ठीक ऐसा ही बाबा का हाल है। खेत की जुतायी तो बंद हो चुकी है, किन्तु महिलाओं का प्रेम बाबा से अब भी नहीं छूट रहा है। कभी आस्ट्रेलिया वाली महिला को कभी हॉलैंड वाली मायी बाबा को परेशान किए हुए है। बाबा का जब मन मचलता है तो तत्काल बाबा वीडियो कॉल से दर्शन कर अपने मन को संतुष्ट कर लेता है।
बहरहाल बाबा को प्राप्त होने वाले फल के चर्चे संत समाज में ठहाकों के साथ सुने जा सकते हैं। बाबा इन दिनों समाज में मनोरंजन का साधन बना हुआ है। साथ की उसकी खेती के नए-नए किस्से सामने आने लगे हैं। एक तो खेत में लगी बिमारी और दूसरा चेले का गुरु को छोड़कर अचानक से दूसरे की ओर रूख करने से गुरु परेशान है। वहीं चेला सम्पत्ति को लेकर जो अरमान सजाए बैठा था, वह भी पूरा होने वाला नहीं है। वैसे यहां गुरु-चेले में कोई कम नहीं बताया जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि चेला भी अपनी कारगुजारियों के लिए मशहूर रहा है। यदि गुरु एक हाथ है तो चेला गुरु से चार हाथ आगे है।


