विनोद धीमान
लक्सर। प्रदेश सरकार जहां एक ओर गांव-गांव को स्वच्छ और सुंदर बनाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, वहीं दूसरी ओर लक्सर विकासखंड के बसेड़ी खादर गांव की स्थिति सरकार की योजनाओं को मुंह चिढ़ा रही है। गांव में जलभराव और गंदगी इस कदर बढ़ चुकी है कि ग्रामीणों का जीना दूभर हो गया है। नालियों का गंदा पानी गलियों से होकर अब लोगों के घरों तक पहुंचने लगा है। हालात यह हैं कि ग्रामीणों को हर रोज इसी गंदे पानी से होकर गुजरना पड़ रहा है।

रास्ते बने नाले, घरों में घुसा गंदा पानी
गांव के मुख्य रास्ते और गलियां जलभराव के कारण पूरी तरह गंदे पानी में तब्दील हो चुकी हैं। कई जगह तो सड़कें दलदल जैसी बन गई हैं। ग्रामीणों का कहना है कि बारिश के बाद से ही यह हालात बने हुए हैं, लेकिन अब तक कोई सफाई या निकासी की व्यवस्था नहीं की गई।
गांव निवासी रामपाल, महेंद्र, सतीश और धर्मपाल ने बताया कि गलियों में महीनों से पानी भरा हुआ है। बच्चे स्कूल जाते समय इसी पानी में फिसल जाते हैं और कई लोग चोटिल भी हो चुके हैं। गंदे पानी की वजह से मच्छर और बदबू से बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ गया है।

ग्राम प्रधान की अनदेखी पर भड़के ग्रामीण
ग्रामीणों ने बताया कि वे कई बार ग्राम प्रधान को इस समस्या से अवगत करा चुके हैं। यहां तक कि पंचायत बैठकों में भी इस मुद्दे को उठाया गया, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन ही मिला। ग्रामीणों का कहना है कि गांव के विकास के नाम पर सिर्फ कागजों में काम दिखाया जा रहा है, जबकि असलियत में गांव की हालत बद से बदतर होती जा रही है।
प्रशासन तक पहुंची आवाज, एसडीएम ने दिए जांच के आदेश
जब इस मामले की जानकारी हमारी टीम ने लक्सर खंड विकास अधिकारी प्रवीण बिष्ट से लेनी चाही तो पता चला कि वह देहरादून मीटिंग में हैं। इसके बाद हमारी टीम ने लक्सर तहसील पहुंचकर एसडीएम सौरभ असवाल से बातचीत की।
एसडीएम असवाल ने कहा कि ग्रामीणों की समस्या गंभीर है और इसका समाधान जल्द कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि खंड विकास अधिकारी को फोन पर निर्देशित किया जाएगा कि वह टीम बनाकर बसेड़ी खादर गांव भेजें और जलभराव की समस्या का स्थायी समाधान निकालें। साथ ही एसडीएम ने यह भी कहा कि गांव में कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव कराया जाएगा ताकि मच्छर और मक्खियों से ग्रामीणों को राहत मिल सके।
बीमारियों का खतरा बढ़ा, ग्रामीणों में चिंता
गांव के लोगों का कहना है कि लगातार जलभराव और गंदगी के कारण बच्चों में त्वचा संबंधी और बुखार जैसी बीमारियां फैल रही हैं। कई घरों में छोटे बच्चे बीमार पड़ चुके हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अगर जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं किया गया तो हालत और बिगड़ सकते हैं। गांव की महिलाएं भी पानी भरे रास्तों से होकर गुजरने को मजबूर हैं, जिससे कई बार फिसलने और चोट लगने की घटनाएं हो चुकी हैं।
सरकार की योजनाओं पर उठे सवाल
प्रदेश में स्वच्छ भारत मिशन और अमृत सरोवर जैसी योजनाओं के तहत गांवों को साफ-सुथरा बनाने के लिए भारी-भरकम बजट खर्च किया जा रहा है। लेकिन बसेड़ी खादर जैसे गांवों की स्थिति इन योजनाओं की पोल खोलती नजर आ रही है।
ग्रामीणों का कहना है कि जब तक अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचेंगे और ठोस कार्रवाई नहीं करेंगे, तब तक गांव की यह हालत सुधरने वाली नहीं है। गांव के लोगों ने शासन-प्रशासन से अपील की है कि जल्द से जल्द गांव की जल निकासी व्यवस्था दुरुस्त की जाए और गंदगी की सफाई कराई जाए। ग्रामीणों का कहना है कि वे बार-बार शिकायत कर थक चुके हैं, अब उन्हें सिर्फ कार्रवाई की उम्मीद है।


