हिंदू राष्ट्र का संविधान रामराज्य के रूप में होगा : स्वामी आनंदस्वरूप

महाकुंभ मेला में संत-महात्माओं द्वारा हिंदू राष्ट्र के संविधान का लोकार्पण

प्रयागराज। भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करना, यह मेरे जीवन का अंतिम उद्देश्य है। स्वतंत्रता के बाद हिंदुओं की गुरुकुल शिक्षा पद्धति को बंद कर दिया गया। संविधान द्वारा स्कूलों में हिंदुओं को धर्म शिक्षा देने पर रोक है, जबकि मुसलमानों को मदरसों में उनके इस्लाम धर्म की शिक्षा दी जा रही है। अगर भारत में गुरुकुलों में शिक्षा दी जाती, तो व्यभिचार, बलात्कार और भ्रष्टाचार खत्म हो सकते थे। क्या हमारे श्रीमद्भगवद्गीता में कभी कोई सुधार हुआ है? लेकिन संविधान में 100 से अधिक बदलाव किए गए हैं। वर्तमान संविधान में हिंदुओं को द्वितीयक स्थान दिया गया है, जबकि हिंदू राष्ट्र के संविधान में ‘हिंदू’ ही केंद्रीय बिंदु होगा। हिंदू राष्ट्र का संविधान रामराज्य के रूप में होगा, यह कथन काली सेना के संस्थापक और शांभवी पीठाधीश्वर प.पू. स्वामी आनंदस्वरूप महाराज ने हिंदू राष्ट्र सम्मेलन में किया। इस सम्मेलन में स्वामी आनंदस्वरूप महाराज ने ‘हम हिंदू हैं…’ गीत का लोकार्पण किया।

महाकुंभ मेला में लाखों हिंदुओं की आस्था वाले संत-महात्माओं ने भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की घोषणा की। आज सभी संतों की वंदनीय उपस्थिति में हिंदू राष्ट्र के संविधान का प्रारूप प्रस्तुत किया गया। काली सेना और हिंदू जनजागृती समिति द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित हिंदू राष्ट्र सम्मेलन शांभवी पीठ के काली सेना के शिविर में आयोजित हुआ। धर्माधिष्ठित हिंदू राष्ट्र की स्थापना और उसे चलाने के लिए उपस्थित सभी संत-महात्माओं ने संकल्प लिया।

धर्म शिक्षा, धर्म जागृति और हिंदू एकता द्वारा हिंदू राष्ट्र की स्थापना : सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे

हिंदू जनजागृती समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे ने कहा कि 18वीं शताबदी तक भारत एक स्वंयभू हिंदू राष्ट्र और आर्थिक महाशक्ति था। उस समय भारत वैश्विक व्यापार में अग्रणी था। आज धर्मनिरपेक्ष शासन व्यवस्था के कारण हमारी स्थिति क्या हो गई है? आज दूसरे धर्मों के देशों में उनके धर्म के अनुसार लोगों की प्राथमिकता के साथ देखभाल की जाती है, लेकिन भारत में हिंदू बहुल होते हुए भी हिंदू हितों की रक्षा नहीं की जाती। इसलिये भारत में हिंदू राष्ट्र का होना आवश्यक है। धर्म शिक्षा, जागृति और हिंदू एकता के माध्यम से हिंदू राष्ट्र की स्थापना करना ही हिंदू समाज और देश को बचाने का एकमात्र मार्ग है।

हिंदू राष्ट्र की स्थापना के लिए सम्पूर्ण भारत में विजय यात्रा निकालनी चाहिए : गोविंदानंद सरस्वती, ज्योतिर्मठ

किसी भी कार्य को शास्त्र प्रमाणित होना चाहिए। आदि शंकराचार्य ने शास्त्र के आधार पर ही सनातन धर्म के बारे में जागरूकता फैलायी। आदि शंकराचार्य ने हिंदू राष्ट्र की पुनर्स्थापना के लिए चार पीठों की स्थापना की। भगवान श्रीकृष्ण और श्रीराम ने धर्म के रक्षण के लिए अवतार लिया। हिंदू अपनी स्वधर्म से विस्मृत हो गए हैं। उन्हें सनातन हिंदू धर्म की याद दिलाना, यही संतों का कार्य है। हिंदू राष्ट्र के प्रचार के लिए संपूर्ण भारत में विजय यात्रा निकाली जानी चाहिए। इसके लिए संतों को अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए, ऐसा आह्वान ज्योतिर्मठ के दंडी स्वामी गोविंदानंद सरस्वती ने किया।

मैकॉले प्रोत्साहित शिक्षा नहीं, बल्कि गुरुकुल शिक्षा के माध्यम से हिंदू राष्ट्र की स्थापना संभव है :– जागृत चेतनागिरी

कुंभ मेला में हिंदू राष्ट्र के प्रतीक हटाए गए थे। अगर भारत में हिंदू राष्ट्र के प्रतीक हटाए जा रहे हैं, तो हिंदू राष्ट्र की स्थापना कैसे होगी? हिंदू राष्ट्र की स्थापना के लिए राज्यतंत्र और धर्मतंत्र का एकत्रीकरण आवश्यक है। धर्म स्थापना के लिए हिंदुओं को शक्ति की आवश्यकता है। गुरुकुल शिक्षा पद्धति और मातृशक्ति से ही हिंदुओं को शक्ति मिलेगी, और उसी से हिंदू राष्ट्र की स्थापना होगी, ऐसा विचार महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 जागृत चेतनागिरी ने व्यक्त किया।

संतों के नेतृत्व में फिर से हिंदू राष्ट्र की स्थापना होगी : सद्गुरु नीलेश सिंगबाळ

काली सेना द्वारा प्रचारित हिंदू राष्ट्र के संविधान का प्रारूप यह संकेत है कि हम हिंदू राष्ट्र की सीमाओं के पास हैं। इस सीमा को पार करके हमें हिंदू राष्ट्र में कदम रखना होगा। सनातन धर्म पर हर युग में आक्रमण हुए हैं। उस समय संतों ने नेतृत्व लिया और हिंदू राष्ट्र की स्थापना के लिए कदम बढ़ाया। अब फिर से हिंदू राष्ट्र की स्थापना के लिए संतों ने कदम उठाया है। संतों के नेतृत्व में ही फिर से हिंदू राष्ट्र की स्थापना होगी, ऐसा विश्वास हिंदू जनजागृती समिति के धर्म प्रचारक सद्गुरु नीलेश सिंगबाळ ने व्यक्त किया।

हिंदू राष्ट्र की स्थापना के लिए हिंदुओं को शक्तिशाली बनना होगा : कामेश्वरपुरी महाराज, जुना पंचदशनाम अखाड़ा

‘सेक्युलर’ शब्द के कारण हिंदू निष्क्रिय हो गए हैं। जैसे घर बनाने के लिए कई चीजों की आवश्यकता होती है, वैसे ही हिंदू राष्ट्र की स्थापना के लिए भी विभिन्न योगदानों की आवश्यकता है। हिंदू राष्ट्र की स्थापना के लिए धन और कौशलयुक्त पीढ़ी की आवश्यकता है। हिंदू राष्ट्र की स्थापना के लिए हिंदुओं को शक्तिशाली बनना होगा, ऐसा आह्वान जुना पंचदशनाम अखाड़े के कामेश्वरपुरी महाराज ने किया।

इस अधिवेशन में बांगलादेश और पाकिस्तान में हिंदुओं पर बढ़ते अत्याचार, बांगलादेशी-रोहिंग्या घुसपैठियों से भारत की आंतरिक सुरक्षा को उत्पन्न होने वाला खतरा, काशी, मथुरा सहित अन्य मंदिरों की मुक्ति के लिए संवैधानिक संघर्ष, हिंदू मंदिरों का सरकारीकरण, भारतभर त्योहारों के समय हिंदुओं पर होने वाले हमले, लव जिहाद, धर्मांतरण, आतंकवाद, दंगे आदि समस्याओं पर संत-महात्माओं ने विचारमंथन किया। हिंदु जनजागृती समिति के सुनील कदम ने कार्यक्रम का संचालन किया।

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