हरिद्वार। स्वामी रुद्रानंद गिरी महाराज ने बुधवार को प्रेस को जारी बयान में कहाकि अग्नि अखाड़े के ध्वजारोहण के उत्सव पर अग्निअखाड़े के कुछ संतों द्वारा समाज के धार्मिक लोगों व अन्य संतों को ठगने और गुमराह करने का कार्य किया गया है। उन्होंने कहाकि कुंभ के प्रथम चरण की शुरुआत अग्नि अखाड़े के महाकुंभ हरिद्वार की आमंत्रण पत्रिका से हुई।

उन्होंने कहाकि पत्रिका में संरक्षक के नाम पर श्री महंत आनंद चैतन्य, श्री महंत गंगा स्वरूप, श्री महंत योगानंद का नाम छपा हुआ है। श्री महंत आनंद चैतन्य वर्तमान में जो कार्यकारिणी बनाई हुई है उसमें रमता पंच के सदस्य हैं। श्री महंत गंगा स्वरूप न तो अखाड़े की कार्यकारिणी के सदस्य हैं और ना ही साधारण सभा के सदस्य तो वह संरक्षक कैसे बन गये। उन्होंने कहाकि श्री महंत योगानंद को कार्यकारिणी मैं जूनागढ़ का स्थानाधिपति बताया गया है। पत्रिका में संरक्षक बताया गया है। पत्रिका में चार सचिव बताए गए हैं। श्री महंत नारायण दत्त प्रकाश व श्री महंत संपूर्णानंद दोनों कार्यकारिणी में सदस्य बताए गए हैं। श्री महंत जीया नंद और श्री महंत नीलेश चेतन का नाम कार्यकारिणी मैं कहीं नहीं है। उन्होंने कहाकि यह चारों संत श्री पंच अग्नि अखाड़े के सचिव होने के नाम पर पूरे संत समाज को गुमराह कर रहे हैं। पत्रिका में 7 स्थानाधिपति बताए गए हैं। श्री महंत श्यामानंद, श्री महंत विचित्रानंद, श्री महंत दिनेशानंद, श्री महंत जय देव स्वरूप, श्री महंत दुर्गा नंद, श्री महंत साधना नंद, श्री महंत परमेश्वरानंद कार्यकारिणी में श्री महंत विचित्रानंद को बरेली का और श्री महंत साधना नंद को हरिद्वार का स्थानाधिपती बताया गया है। श्री महंत परमेश्वरानंद न तो साधारण सभा के सदस्य है और ना ही कार्यकारिणी के सदस्य। उन्होंने कहाकि साधारण सभा के सदस्य नहीं होते हुए भी साधना नंद, सोमानंद, ईश्वर चैतन्य व विश्वेश्वरानंद तथा सदानंद को कार्यकारिणी का सदस्य बताया गया है। उन्होंने इन तथ्यों को गलत साबित करने की अग्नि अखाड़े के पदाधिकारियों को चुनौती दी है।