अपने ही जाल में फंसते जा रहे बलवीर पुरी

रात में थे पुरी और सवेरा होते ही हो गए गिरि
हरिद्वार। गंगा गए तो गंगा दास और जमुना गए तो जमुना दास वाली कहावत इन दिनों बाघम्बरी गद्दी के नवनियुक्त महंत बलवीर पुरी पर सटीक बैठती है। बलवीर पुरी ने स्वीकार किया है कि वह हरिद्वार में बलवीर पुरी थे और 5 अक्टूबर से बाघम्बरी का महंत बनने के बाद वे बलवीर गिरि हो गए हैं।
प्रयागराज स्थित बाघम्बरी गद्दी से मिले सूत्रों के मुताबिक बीते रोज बलवीर पुरी से जांच एजेंसी ने पूछताछ की, जिसमें उसने बताया कि हरिद्वार मुलतानी मढ़ी का वह बलवीर पुरी के नाम से कारोबारी महंत है और 5 अक्टूबर से बाघम्बरी गद्दी का महंत बनने और कारोबार संभालने के बाद वह बलवीर गिरि हो गया है। सूत्रों ने बताया कि पूछताछ में बलवीर पुरी ने बताया कि करीब एक शताब्दी पूर्व बाघम्बरी गद्दी के महंत बालकेसर गिरि थे, जबकि बालकेसर गिरि शहंशाह अकबर के समय में बाघम्बरी गद्दी के पहले महंत थे। जबकि नरेन्द्र गिरि के महंत बनने से पूर्व भगवान गिरि उनसे पूर्व बलदेव गिरि, उनसे पूर्व विचारानंद गिरि, उनसे पूर्व शांतनानंद गिरि, उनसे पूर्व भूमानंद गिरि महाराज महंत थे। बलवीर पुरी बाघम्बरी के 24वें महंत हैं। ऐसे में अपने की बयानों में बलवीर पुरी घिरते नजर आ रहे हैं। संतों का कहना है कि रात में पुरी थे और सवेरा होते ही गिरि बन गए। इतना ही नहीं कुछ भगवाधारी ऐसे हैं जहां वे भरी परात देखते हैं वहीं पूरी रात बिता देते हैं।

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