हरिद्वार। तीर्थनगरी हरिद्वार में सरकार और प्रशासन की मेहरबानी के चलते कालनेमियों के हौंसले बुलंद हैं और ये करोड़ों के व्यारे-न्यारे कर ऐश का जीवन यापन कर रहे हैं। इतना ही नहीं सरकार को टैक्स का चूना लगाने का कार्य भी बखूबी इनके द्वारा किया जा रहा है। कालनेमियों की गतिविधियांे और इनके कारनामों के कारण सनातन को गहरा आघात पहुंच रहा है। बावजूद इसके ये सनातन के सर्वेसर्वा बने घूम रहे हैं। इनका मानना है की सनातन की गहरी जड़े इनके द्वारा ही फलीभूत हो रही हैं। जबकि वास्तविकता यह है कि ऐसे लोग सनातन को गर्त में पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं।
आमजन को मोह-माया के त्याग का उपदेश देने वाले कथित भगवाधारी लोगों को ठगने और पद के लिए कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार हैं। जिसके लिए करोड़ों मांगना और खर्च करना इनके लिए कोई बड़ी बात नहीं।
सूत्र बताते हैं कि कालनेमी भले ही अपने को कितना भी शातिर समझें, किन्तु कालनेमी संतों की कैकई के इशारों पर नाचते हैं।
इन कालनेमियों में रणनीतिकार संतों की कैकई है। ये ऐसी कैकई है जो आश्रम व अखाड़े में बिना किसी पद के सर्वेसर्वा बनकर कार्य करती है। सूत्रों की माने तो इस कैकई ने एक बड़ी रणनीति पर कार्य किया और अखाड़े से लगभग बाहर माने जा रहे एक कथित भगवाधारी को संजीवन देने का कार्य किया।
सूत्रों की मानें तो कैकई ने ऐसी रणनीति बनायी की बाबा को बचाने के लिए स्वंय की जेब तो गर्म की साथ ही संजीवनी के नाम पर दूसरे को भी मोटी रकम दिलाने का कार्य किया। यह रकम करीब दो करोड़ रुपये बतायी जा रही है। हालांकि अभी तय रकम का आदान-प्रदान नहीं हुआ है, किन्तु मामला कैकई ने तय करवा दिया है। हालांकि कैकई को लेकर भी असंतोष बढ़ता जा रहा है।
वैसे कैकई की एक खास बात यह की जहां यह अपना पलड़ा भारी देखती है वहां गुर्रराने लगती है और जहां अपना पलड़ा कमजोर होता दिखता है तो यह छोटे या बड़े किसी के भी पैर पकड़ने में देर नहीं लगाती।


