हरिद्वार में भगवा बिग्रेड का आतंक, शासन-प्रशासन की उदासीनता से हौंसले बंलुद

अखाड़े फिलहाल दो फाड़, ऐसे विषयों पर चर्चा का औचित्य नहींः हरि गिरि


हरिद्वार। तीर्थनगरी हरिद्वार में काफी समय से भगवा बिग्रेड के आतंक से आमजन परेशान हैं। इसके साथ ही शासन-प्रशासन की उदासीनता लोगों के लिए कोढ़ में खाज का काम कर रही है। जिस कारण से कथित भगवा बिग्रेड के हौंसले बंुलंद हैं।
सभी जानते हैं कि तीर्थनगरी में भगवा बिग्रेड बहुतायत में है। कुछ कथित भगवा बिग्रेड भगवे की आड़ में लोगों को ठगने का कार्य बड़ी ही बेशर्मी के साथ करती चली आ रही है। ऐसा नहीं कि सभी भगवाधारी एक जैसे हैं। किन्तु भगवा की आड़ लेकर कुछ कथित अपराधिक किस्म के लोगों ने अपना माया जाल बिछाकर लोगों को परेशान किया हुआ है। आलम यह है कि कुछ कथित भगवाधारियों को इस कार्य में महारथ हासिल है। जमीन की धोखाधड़ी, कब्जे, अपहरण, बलात्कार, दलाली जैसे कार्यों में इनका कोई सानी नहीं है।


स्थिति यह है कि उपनगरी कनखल में करोड़ों की जमीन पर कब्जा कर एक भगवाधारी ने बेच डाला। वहीं दूसरे भगवाधारी ने अपनी जमीन को बेच दिया और दूसरे की जमीन को अपना बताकर अब अपना अधिकार जता रहा है। इतना ही नहीं जमीन पर अपना अधिकार छोड़ने के लिए बाबा जमीन के बाजार मूल्य की डिमांड कर रहा है। वहीं कई आश्रम ऐसे हैं जिन पर बाबा ने कब्जा किया हुआ है और उनका मामला न्यायालय में विचाराधीन है।


वहीं कई भगवा की आड़ लेकर ऐसे अपराधी भी शामिल हैं, जिन पर अपहरण, बलात्कार का प्रयास, धोखाधड़ी जैसे आरोप हैं। कई ऐसे बाबा भी हैं, जो लोगों के ट्रांसफर करवाने के नाम पर भी उगाही करते हैं। यहां तक की फरारी काटने वालों को शरण देने वाले बाबाओं की भी लम्बी लिस्ट है। कुछ समय पूर्व एक बाबा हरिद्वार की एक कन्या को लेकर फरार हो गया था। फिलहाल अब बाबा पिता बन चुका है और अपनी पत्नी को उसने दूसरे जनपद के रखा हुआ है। एक अन्य बाबा भी दो बच्चों का पिता बना चुका है। बाबा अपने गुरु का भी राजदार है। चेले का मुंह बंद रहे इस कारण से गुरु ने एक आश्रम चेले को दिया हुआ है और प्रति माह गुरु चेले को पगार भी देता है।


वहीं बाबा के प्रेम जाल में फंसी एक युवती तो बाबा की ऐसी दीवानी है कि उसने अपने हाथ पर बाबा का नाम तक गुदवाया हुआ है। इतना ही नहीं लोगों के करोड़ों रुपये उधार लेकर डकारने वाले बाबा भी यहां निवास करते हैं। यहां तक की अखाड़ों की बेशकीमती जमीन बेचकर भी समाप्त की जा चुकी हैं और कुंभ आदि पर्व पर जमीन के लिए कुछ भगवाधारी सरकार का मुंह ताकने का काम करते हैं।

विगत होली पर एक बाबा के अंगरक्षकों ने कनखल में कुछ युवकों पर हमला कर उनको लहुलुहान कर दिया था। बाबा की पहुंच व आतंक के कारण पीड़ितों ने कोई कानूनी कार्यवाहीं की।


स्थिति यह है, जो राज सत्ता आज तक धर्म सत्ता के चरण पखारा करती थी वहीं आज धर्म सत्ता के कुछ कथित ठेकेदार धर्म सत्ता के लोगों के चरण पखारकर स्वंय को धन्य मानते हैं। यहां तक की साधु के आसान पर राज सत्ता के लोगांे को बैठाया जाता है।


ऐसे संतों के संबंध में जब अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री व श्री पंचदाशनाम जूना अखाड़े के अन्तराष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरिगिरि महाराज ने वार्ता की तो उनका कहना था कि फिलहाल संतों का क्या आचरण है, यह मुख्य विषय नहीं है। इस समय हमारा एक ही ध्येय है कि किस प्रकार से दो फाड़ हो चुके अखाड़ों को एक कर एक अखाड़ा परिषद बनायी जाए।

उन्होंने कहाकि जब दो फाड़ हो चुके अखाड़े एक हो जाएंगे और बैठक में इस प्रकार के प्रस्ताव पर चर्चा होगी और प्रस्ताव पारित होगा तो कार्यवाही के संबंध में विचार किया जाएगा। कहाकि अखाड़ा परिषद तो अखाड़ों से है, जबकि अभी अखाड़े ही दो फाड़ हैं, ऐसे में कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता। कहाकि यदि अभी कोई कार्यवाही की जाए तो कोई भी कह सकता है कि अखाड़ा परिषद तो पूर्ण नहीं है। ऐसे में ऐसे विषयों पर फिलहाल विचार करने का कोई औचित्य नहीं है।

कुल मिलाकर इस मुद्दे पर बात को गोल-गोल घुमाकर अपना पल्ला झाड़ने का प्रयास किया गया। साथ ही ऐसे गंभीर मामलों में संतों की चुप्पी भी सनातन के पतन का मुख्य कारण है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *