मिर्गी रोग दिमाग सम्बंधी रोग है। मिर्गी रोग को एलोपैथिक में(फीटस,फीड्स)कहते है,यूनानी में सरस,और आयुर्वेदिक में मिर्गी के दौरे बोलते है।एलोपैथिक में इसका कोई स्थाई इलाज नही है। पहले 3 साल तक दवा खाओ छोड़ो फिर मिर्गी शुरू हो जाते है। फिर दवा खाओ यानि की उम्र भर।एलोपैथिक में इस रोग की कुछ ही दवा है जेसे की epsolin,eption,epilex corno,gardinal,eption sodium इत्यादि।
लक्षण
जबी मिर्गी के दौरे पड़ते है तो निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते है।
- दाँत का बन्द हो जाना
- साँस लेने में दिक्कत होना
- चेहरे का बिगड़ जाना
- आँख की पुतली का ऊपर चढ़ जाना और घूमते रहना
- आँखे खुली रहना
- मुँह से झाग निकलना
- कंही भी अचानक ही गिर जाना इत्यादि इसके लक्षण है।
निम्नलिखित कारण
ज्यादा चिंता का होना
किसी चीज का भय का होना
अत्यधिक क्रोध का होना
अधिक् कामवासना का होना
अधिक इन्द्रिय सेवन,हस्तमैथुन दुराचार
हर एक बात के बारे में अधिक सोचना
नशीले पदार्थो का सेवन आदि में से कई कारण हो सकते है।
जब दौरा पड़ता है वह अवस्था 5 से 20 मिनट तक और कभी कभी कुछ अधिक समय रहती है
उपचार
अककरा, बसफाइज फुंतुकी, अफ्टीमुन, और उस्तुखुदुस 3-3 तोला और अश्वगँधा, ब्राह्मी, जटामांसी, शंखपुष्पी 5-5 तोला और धुली हुई भांग, सर्पगंदा, उड़द की दाल देसी घि में भुनी हुई दाल, बादाम, चारो मगज सभी को 6-6 तोला की मात्रा में लेकर सभी को साफ सुथरा कर कुट पीट क्र 2 बार कपड़छान करके गुठली निकाला हुआ मुनक्का 1800 ग्राम में मिलाकर माजून बनाये।
इसके नियमित सेवन से मिर्गी हमेशा के लिए चली जायेगी,
इसका परिणाम पांच दिन सेवन करने पर ही मिल जाता है।
चाहे किसी को मिर्गी 15 सालो से आती हो
यह दवा मस्तिष्क को बल देती हैl किसी भी तरह की चिंता, भय नही होने देती है।मरीज को गोघृत भी खाने को दे सकते है। गोघृत नाक में भी डाले सोते समयl
अश्वगंधारिष्ट सिरप ले भोजन बाद 2 बार 20ml पानी में मिलाकर ले।
Dr.(Vaid) Deepak Kumar
Adarsh Ayurvedic Pharmacy
Kankhal Hardwar
aapdeepak.hdr@gmail.com
9897902760


