आश्रम को होटल में तब्दील करने की कोशिश में खादी और भगवा माफिया का गठजोड़ सक्रिय

हरिद्वार। धार्मिक सम्पत्तियों को खुर्द बुर्द करने के लिए भगवा, खादी और माफिया का गडजोड़ तीर्थनगरी में नजरें गढ़ाए बैठा हुआ है। जिस कारण से धार्मिक सम्पत्तियों खासकर आश्रम, अखाड़े और धर्मशालाओं पर संकट के बादल छाए हुए हैं। कई धर्मशालाआंें को कब्जा कर होटलों में तब्दील कर दिया गया है। तो कई आश्रमों पर भगवा की आड़ लेकर कब्जा किया हुआ है। बावजूद इसके न तो प्रशासन और न ही सरकार इस ओर कोई ध्यान दे रही है और न ही भगवा की आड़ लेकर्र िछपे बैठे माफियाओं पर अंकुश लगाने की दिशा में कोई ठोस कदम उठा रही है। जिस कारण से कथित भगवाधारी माफियाओं के हौंसले बुलंद हैं। ऐसे ही एक आश्रम को होटल में तब्दील करने का ताना-बाना बुना जाने लगा है। जबकि जिस आश्रम को खुर्द-बुर्द करने का ताना बाना बुना जा रहा है, वह पूर्व से ही विवादित है और उसका न्यायालय में मामला विचाराधीन है, किन्तु खादी, भगवा और भगवाधारी माफिया का गठजोड़ अपने कार्य को अंजाम देने में लगा हुआ है।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक उपनगरी कनखल के एक आश्रम पर काफी समय से भगवाधारी माफियाओं और खादी की गिद्ध दृष्टि बनी हुई। जबकि उस आश्रम में वर्तमान में जो कथित संत आसीन है, वह भी कब्जाधारी बताया गया है। सूत्र बताते हैं कि फर्जी वसीयत के आधार पर आश्रम पर कब्जा किया हुआ है और जिस वसीयत के आधार पर कब्जा जमाया हुआ है, उसमें जो ट्रस्टी बनाए गए हैं, वहीं वसीयत में बतौर गवाह भी हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वसीयत की वास्तविकता क्या है।


खैर यह विषय अलग है। अब आश्रम को विक्रय कर होटल में तब्दील करने की कोशिशों को अमलीजामा पहनाने की कोशिशें एक बार फिर से तेज हो गई हैं। इस कार्य को सिरे चढ़ाने के लिए एक कथित संत ने महाकाल की नगरी में डेरा डाला हुआ है, जो वहां आश्रम के कथित ट्रस्टी और आश्रम के परमाध्यक्ष के शिष्य को अपने प्रभाव में लेकर कार्य को अंजाम तक पहुंचाने की कोशिशों मंे है। बताते हैं कि यह वही आश्रम है, जहां पूर्व में एक संत के करीब 60 हजार डॉलर चोरी कर लिए गए थे और चोरी होने के बाद भी संत की कोई सुनवाई नहीं हुई थी।


सूत्र बताते हैंं कि हालांकि आश्रम में वर्तमान में जिसका कब्जा है, वह आश्रम को खुर्द-बुर्द करने के पक्ष में नहीं है, किन्तु खादी और कथित भगवा द्वारा सम्पत्ति को खुर्द-बुर्द करने का दवाब बनाया जा रहा है। हालांकि आश्रम में अधिकार को लेकर मामला न्यायालय में वर्षों से विचाराधीन है। देखना यह होगा की न्यायालय में मामला विचाराधीन होने के बाद भी क्या धार्मिक सम्पत्ति को खुर्द-बुर्द करने में खादी और कथित भगवा माफिया का गठजोड़ कामयाब हो पाता है या नहीं।

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